आरटीआइ को हथियार बना भ्रष्टाचार के खिलाफ चला रहे मुहिम
दिलशाद ने 2007 में जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत गनेशपुर में राशन कार्ड घोटाले का पर्दाफाश किया। इसमें तत्कालीन प्रधान व पांच कोटेदारों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया। सदर ब्लाक का स्टोर कीपर भी निलंबित हुआ।
बस्ती: देश की संसद ने वर्ष 2005 में 12 अक्टूबर को जब आरटीआइ एक्ट पास किया तो लगा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने के लिए एक महत्वपूर्ण हथियार मिल गया। डेढ़ दशक का सफर पूरा करने वाला यह कानून आम लोगों के लिए खास हथियार बन गया है। विकास से लेकर भ्रष्टाचार तक में यह एक्ट मददगार है।
सिविल बार एसोसिएशन के संयुक्त मंत्री दिलशाद हसन खान ने आरटीआइ रूपी शस्त्र का प्रयोग कर भ्रष्टाचार के कई मामलों का पर्दाफाश किया। अब तक 600 मामलों में आरटीआइ के तहत उन्होंने सूचना मांगी। इनमें से उन्हें 245 की सूचना मिल चुकी है। 153 मामलों में सूचना आधी अधूरी दी गई।
दिलशाद ने 2007 में जिले की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत गनेशपुर में राशन कार्ड घोटाले का पर्दाफाश किया। इसमें तत्कालीन प्रधान व पांच कोटेदारों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया। सदर ब्लाक का स्टोर कीपर भी निलंबित हुआ। मामले में तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज होने के साथ ही खंड विकास अधिकारी के विरुद्ध घोर भर्त्सना प्रविष्टि की कार्रवाई की गई। 2009 में आपदा प्रबंधन से जुड़ी सूचना न देने के कारण तत्कालीन एडीएम 25 हजार का अर्थदंड लगा। 2014 में प्रधानाचार्य की नियुक्ति में अनियमितता के मामले में दिलशाद की आरटीआइ पर प्रधानाचार्य, प्रबंधक और डीआइओएस के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया। दिलशाद ने बताया कि सितंबर में उन्होंने कुल नौ आरटीआइ लगाई है। इनमें बीडीओ सदर, दो डीपीआरओ, एक-एक एसपी और अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी से संबंधित है। इसमें से किसी ने भी अब तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है।