बिना संसाधन कैसे काम करेंगी निगरानी समितियां
एंटीजन टेस्ट किट पल्स आक्सीमीटर की कमी
जागरण संवाददाता, टिनिच, बस्ती : गांवों में तेज गति से कोरोना संक्रमण की आशंकाओं को रोकने व सच जानने के लिए सरकार ने निगरानी समितियों का गठन कर घर-घर जाकर सूचनाएं एकत्र करने का निर्देश दिया। इस क्रम में सभी आशा कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्यकर्मियों को लगाया गया है, लेकिन यह लोग खुद असुरक्षित होने के साथ संसाधनविहीन है। बुधवार को सल्टौआ ब्लाक के बेतौहा ग्राम पंचायत में आशा कार्यकर्ता सीमा व आंगनबाड़ी संगीता पहुंची। इनके पास न तो पल्स आक्सीमीटर और न ही एंटीजन टेस्ट किट और थर्मामीटर ही था। यहां तक कि मास्क, सैनिटाइजर और ग्लब्स भी नहीं मौजूद था। ऐसे में संक्रमण पता करने निकली स्वास्थ्य टीम कब खुद संक्रमित हो जाय, कुछ कहा नहीं जा सकता। यह महज एक ब्लाक की ही स्थिति नहीं है। कमोवेश यही स्थिति अन्य विकास क्षेत्रों की है। पांच दिवसीय अभियान के तहत निगरानी समिति आखिर लक्षण की जांच कैसे करेगी सिर्फ जुबानी जानकारी के सहारे विश्वास करना नाकाफी होगा। सरकार का साफ निर्देश है कि प्राथमिक लक्षण दिखने पर स्वास्थ्य टीम संबंधित को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पर भेजकर जांच कराए। रिपोर्ट पाजिटिव आने पर उसे अस्पताल या होम आइसोलेशन पर भेजा जाए। दूसरी ओर तमाम ग्राम पंचायतों में निगरानी समिति से जुड़े कर्मी बीमार चल रहे हैं, ऐसे में वहां अभियान कैसे सफल होगा इस पर भी सवाल खड़ा हो रहा है। सभी आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मेडिकल किट पहले ही उपलब्ध कराया गया था। यदि किसी का खराब हो गया हो तो वह अवगत कराएं, उसे सही करा दिया जाएगा। निगरानी समिति की सुरक्षा का ध्यान रखा जा रहा है। ग्रामीणों को सहयोग करना चाहिए जिससे समय रहते उचित कदम उठाए जा सके।
डॉ आनंद कुमार मिश्र, प्रभारी चिकित्साधिकारी, सीएचसी, सल्टौआ