बाजार से गायब हुआ रेमडेसिविर और फेबिफ्लू इंजेक्शन
बाजार में नहीं है रेमडेसिविर और फेबिफ्लू इंजेक्शन जनपद में कभी भी नहीं हुई है इंजेक्शन की आपूर्ति
जागरण संवाददाता, बस्ती : कोरोना बचाव में कारगर दवाओं के अभाव से जरूरतमंद लोग परेशान हैं। कोविड-19 संक्रमितों के आंकड़े बढ़ने के साथ ही रेमडेसिविर व फैबिफ्लू इंजेक्शन की मांग बढ़ गई है। लेकिन संकट के इस दौर में भी बाजार से दोनों महत्वपूर्ण इंजेक्शन गायब है। इससे यहां संकट और गहरा गया है।
इन दोनों इंजेक्शनों से संक्रमण को नियंत्रित किया जाता है। ऐसे में इनकी मांग तेजी से बढ़ गई है। शरीर में संक्रमण के प्रभाव को रोकने के लिए इन दिनों चिकित्सक इंजेक्शन मरीजों को दे रहे हैं। थोक व फुटकर दवा व्यापारियों ने बताया कि पूरे प्रदेश में दोनों इंजेक्शन का संकट है। इस इंजेक्शन की मांग आ रही है,लेकिन एडवांस देने के बाद भी कंपनी इंजेक्शन उपलब्ध नहीं करा पा रही है। इंजेक्शन बनाने वाली सिप्ला कंपनी से कई बार डिमांड की गई लेकिन इंजेक्शन नहीं मिला। आर्गेनाइजेशन केमिस्ट ड्रगिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के कार्यकारिणी सदस्य आशुतोष राय कहते हैं कि कई बार जिले से दोनों इंजेक्शन के लिए डिमांड किया गया, लेकिन आपूर्ति नहीं हुई। ड्रग इंस्पेक्टर से भी अनुरोध किया गया, लेकिन इंजेक्शन नहीं मिल पाया है। वहीं सीएमओ डा. अनूप कुमार श्रीवास्तव के अनुसार जिले में 120 वायल रेमडेसिविर उपलब्ध है। जरूरत पड़ने पर मरीज को उपलब्ध कराया जा रहा है।
---
हर मरीज को नहीं दे सकते इंजेक्शन : जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डा. रामजी सोनी का कहना है कि रेमडेसिविर एंटीवायरल ड्रग है। जो कोरोना वायरस को रोकने का काम करता है, पर यह इंजेक्शन केवल आइएल-छह की वैल्यू को कम करता है। आइएल-छह की जांच में यह पता चलता है कि आपके शरीर में संक्रमण का क्या स्तर है। शरीर में संक्रमण होगा तो आइएल-छह की वैल्यू बढ़ी हुई आएगी, जबकि आइएल-छह की वैल्यू 1.8 जीपी-एमएल होती है। इससे अधिक वैल्यू आ रही है तो इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है, पर उसके लिए काफी सावधानी की आवश्यकता होती है। एल-टू अस्पताल में भर्ती पाजिटिव मरीज और गंभीर होने की दशा में ही यह इंजेक्शन दिया जाता है। हर मरीज को यह इंजेक्शन नहीं दिया जा सकता।