मनरेगा में नहीं भा रहा युवाओं का मन
तकनीकी रूप से दक्ष लोगों को अब तक रोजगार नहीं मिल पाया है।
बस्ती: लॉकडाउन में काफी संख्या में दूसरे राज्यों से प्रवासी मजदूर अपने गांव लौट रहें है। उन्हें प्रशासन ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत रोजगार देने का दावा कर रहा हैं। न तो सबको काम मिल पा रहा है और न ही युवाओं को काम भा रहा है।
जिले में 27144 प्रवासी मजदूरों का जॉबकार्ड बनवाया गया है। इसे लेकर कुल जॉबकार्ड धारकों की संख्या 362151 हो गई हैं। 27144 प्रवासी मजदूरों में से अब तक 12978 प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिया जा चुका है। इनको 120321 दिन रोजगार मिला है। श्रमिकों को 3.37 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है। इसमें से प्रवासियों के खाते में करीब एक लाख रुपये भेजे गए हैं। जिले के लिए मनरेगा का बजट 23912.74 लाख है। मजदूरी के भुगतान हेतु पर्याप्त धन है। मानव दिवस सृजन का लक्ष्य 7926874 है, जिसके सापेक्ष अब तक 350560 मानव दिवस सृजित किए जा सके हैं।
हर्रैया कार्यालय के अनुसार तेनुआ ग्राम पंचायत निवासी कपिल देव बताते हैं कि मुंबई में वह कपड़ा पैंकिग का कार्य कर रहे थे। तपती धूप में मनरेगा कार्य उन्हें पसंद नहीं आ रहा है। राकेश वर्मा का कहना है कि उन्हें भी मनरेगा से काम करने में रुचि नहीं है। वह जल्द ही कोई दूसरा व्यवसाय शुरू करेगें। दुबौलिया 63 ग्राम पंचायतों वाले दुबौलिया ब्लाक में कुल 13014 जाब कार्ड सक्रिय हैं। मार्च 2020 से अब तक 1390 नए कार्ड बनाए गए हैं। जिन प्रवासियों के होम क्वारंटाइन का 21 दिन पूरा हो गया है उनका जॉबकार्ड बना दिया गया हैं।