गांव में काम नहीं मिला तो शहर जाना मजबूरी

शासन की ओर से प्रवासियों को गांव में ही रोजगार दिलाने का दावा किया जा रहा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 09:33 PM (IST) Updated:Wed, 27 May 2020 09:33 PM (IST)
गांव में काम नहीं मिला तो शहर जाना मजबूरी
गांव में काम नहीं मिला तो शहर जाना मजबूरी

बस्ती: कोरोना को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन का जनजीवन पर व्यापक असर दिखने लगा है। शहर छोड़कर सुकून के लिए गांव पहुंचे प्रवासी मजदूरों व कारीगरों के लिए रोजगार की मुसीबत खड़ी होने लगी है। कितु यह दावा कमजोर साबित हो रहा है। सभी प्रवासियों को काम नहीं मिल पा रहा है। खासकर टेक्निकल जाब वालों के लिए रोजगार का इंतजाम नहीं है। उनका कहना है कि बाहर जाने का इरादा तो नहीं है। कितु रोजगार का इंतजाम न होने से उन्हें मजबूरी में शहर जाना पड़ेगा।

केस- एक

हरियाणा के फरीदाबाद में आटोमोबाइल कंपनी में टेक्निकल वर्क करने वाले ग्राम दैजी निवासी शिवकुमार ने बताया कि यदि यहां रोजगार के अवसर मिले तो फिर नहीं जाएंगे। टेक्निकल वर्क करने वाले बेरोजगार बने हुए है । बैंक से अनुदान मिले तो अपना खुद का काम शुरू किया जाए । ऐसा न होने पर शहर जाना मजबूरी होगी। केस- दो

दिल्ली के एक टाफी कंपनी में मेकैनिक का कार्य करने वाले महनौना के डीके सिंह का कहना है कि मनरेगा में मजदूरी हम लोग नहीं कर सकते । दिल्ली जाना नही चाहते । सरकार ने बैंक से ऋण देने की व्यवस्था बनायी है । यदि मिला तो बाजार में घर खर्च चलाने के लिए कार्य शुरू करूंगा। अन्यथा शहर जाना मजबूरी है।

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केस तीन

मुंबई के एक गैरेज में आटोमोबाईल बनाने का कार्य करने वाले ग्राम बग्गी के मुमताज का कहना है कि इस कोरोना में काफी समस्याओं को झेलना पड़ा है । किसी तरह घर वापसी हुई है । सेवा योजना कार्यालय के बारे में जानकारी नहीं है कि कैसे क्या करना पडे़गा? काम नहीं मिला तो घर खर्च चलाने के लिए शहर जाना ही पड़ेगा। केस- चार

शक्तिमान निषाद का कहना है कि हालत नहीं सुधरा तो दिल्ली नहीं जाएंगे। गांव पर ही अपने कुकिग कारोबार को शुरू करेंगे । लोगों के आर्डर बुक कर शादी समारोह जैसे कार्यक्रम में भोजन बनाने का कार्य करेंगे। मेरे साथ ही गांव के अन्य लोगों को भी रोजगार मिलेगा। सरकार को इंतजाम करना चाहिए।

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