कोविड टीकाकरण का बढ़ा दायरा, उत्साह के साथ लगवा रहे टीका

ट्रिपल टी नीति के साथ अस्पतालों में बेड बढ़ाने की बताई गई जरूरत टीकाकरण उत्सव में लगाए गए टीके की दी जानकारीसुझाए गए उपाय

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 11:16 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 11:16 PM (IST)
कोविड टीकाकरण का बढ़ा दायरा, उत्साह के साथ लगवा रहे टीका
कोविड टीकाकरण का बढ़ा दायरा, उत्साह के साथ लगवा रहे टीका

जागरण संवाददाता, बस्ती : कोरोना टीकाकरण अवसर और चुनौतियां विषय पर रविवार को वेबिनार कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ विशेषज्ञों ने विचार रखे। विशेषज्ञों ने टीकाकरण केंद्रों पर भीड़भाड़ से बचने के लिए कोविन पोर्टल पर प्री रजिस्ट्रेशन कराकर ही टीका लगवाने की अपील की। वेबिनार में बताया गया कि टीकाकरण का दायरा बढ़ा है। उत्साह के साथ लोग टीका लगवा रहे हैं।

राज्य के टीकाकरण अधिकारी डा. अजय घई ने बताया कि यूपी में एक करोड़ से ज्यादा लोगों को कोविड का टीका लगाया जा चुका है। लखनऊ में ही प्रतिदिन 15 से 20 हजार टीके लगाए जा रहे थे, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर आने के बाद स्वास्थ्य विभाग का ध्यान कोरोना नियंत्रण और प्रबंधन पर बढ़ गया है। रुटीन टीकाकरण के महाप्रबंधक डा.मनोज कुमार शुक्ल ने कहा कि टीका उत्सव के दौरान 11 से 13 अप्रैल के बीच ज्यादा से जयादा लोगों को टीका लगाया गया है। वेबिनार का आयोजन प्रोजेक्ट संचार और हार्वर्ड टीएच चैन स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ- इंडिया रिसर्च सेंटर की ओर से किया गया। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. फखरेयार हुसैन ने जानकारी दी कि अब तक जिले में एक लाख 35 हजार लोग पहली जबकि 29 हजार लोग टीके की दूसरी डोज ले चुके हैं। सीएमओ डा. अनूप कुमार, डा. राकेश मणि त्रिपाठी, एसीएओ डा.सीएल कन्नौजिया के साथ ही स्वास्थ्य अधिकारियों व स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली संस्थाओं से जुड़े प्रतिनिधियों ने वेबिनार में हिस्सा लिया। ---

टीकों को लेकर अब नहीं है हिचहिचाहट

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में बाल रोग विभाग की प्रोफेसर जेबा जकाउर्रब ने कहा कि जब टीकाकरण शुरू हुआ था उस समय बहुत से स्वास्थ्यकर्मी भी इसको लेकर आशंकित थे लेकिन जब कोरोना से होने वाली गंभीर समस्याओं को दूर करने में इसका प्रभाव दिखाई देने लगा तो टीकों को लेकर लोगों में भारी उत्साह देखा जाने लगा है। कोरोना संक्रमण से लड़ने में अब यह सर्वाधिक अहम साधन के रूप में देखा जा रहा है।

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बूस्टर डोज की जरूरत पर शोध जारी :

केजीएमयू के माइक्रोबॉयलोजी की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अमिता जैन ने कहा कि कुछ टीकों के मामलों में बूस्टर डोज बहुत महत्वपूर्ण होती है। इससे टीके का प्रभाव लंबे समय तक सुनिश्चित हो पाता है। मीजल्स के मामले में जहां बूस्टर डोज की जरूरत नहीं होती, वहीं टेटनस के मामले में 10 साल के बाद एक बूस्टर डोज बेहद उपयोगी होती है।

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