जिला पंचायत ने पूर्व मंत्री,पूर्व सांसद सहित 18 के आवास खाली कराए
एडीएम एसडीएम व एएमए की मौजूदगी में दिनभर चली कार्रवाई विकास भवन व बीएसए कार्यालय के सामने स्थित हैं यह आवास
जागरण संवाददाता, बस्ती : जिला पंचायत के आवास पर लंबे समय से काबिज पूर्व सांसद लालमणि प्रसाद, पूर्व मंत्री रामकरन आर्य सहित 18 लोगों के आवास शुक्रवार को खाली करा दिए गए। इस दौरान प्रशासनिक व विभागीय अधिकारियों के साथ ही बड़ी संख्या में पुलिस मौजूद रही। पूर्व सांसद ने आवास जबरन खाली कराने का आरोप लगाते हुए प्रशासन पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाया।
विकास भवन के पास स्थित जिला पंचायत के आवास में पूर्व सांसद लालमणि प्रसाद 26 साल रह रहे थे। इसी प्रकार पूर्व मंत्री राम करन आर्य सहित कुल 18 लोग भी लंबे समय से जिला पंचायत के भवन में रह रहे थे। इनमें से अधिकतर राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोग हैं। जिला पंचायत ने एक साल पूर्व ही इनकों आवास खाली करने की नोटिस दी थी। इसके बाद भी इन लोगों द्वारा आवास खाली नहीं किए गए। जिला पंचायत ने कई बार आवास खाली करने की चेतावनी दी, इसका भी कोई असर नहीं हुआ। नतीजतन शुक्रवार को प्रशासक एवं जिलाधिकारी के आदेश पर जिला पंचायत के अधिकारी दलबल के साथ पहुंचे और इन आवासों को खाली करा लिया।
यह कार्रवाई सुबह 10 बजे शुरू हुई और शाम तक चली। इस दौरान अपर जिलाधिकारी अभय कुमार मिश्र, एसडीएम आशाराम वर्मा, जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी विकास मिश्र, तहसीलदार पवन जायसवाल, नायब तहसीलदार सुशील कुमार, महिला थाने की प्रभारी निरीक्षक शीला यादव, कोतवाली के एसआइ रविद्रनाथ शर्मा, इंद्रभूषण सिंह मौजूद रहे। इनके आवास खाली कराए गए
जिन लोगों के आवास खाली कराए गए उनमें पूर्व सांसद और पूर्व मंत्री के अलावा कृष्ण गोपाल सिंह, राधेश्याम सिंह, मोहम्मद मुस्लिम सिद्दीकी, रामतीरथ आनंद, सुभाषचंद्र, मिथलेश लक्ष्मी, रामनरेश तिवारी, लक्ष्मीनारायन पांडेय, मजहर आजाद, महेश सिंह, नागेंद्र प्रताप पांडेय, सुनीता मिश्रा, राघवेंद्र कृष्ण प्रताप, अरविद कुमार श्रीवास्तव, पृथ्वीराज सिंह व रामचंद्र पांडेय के आवास शामिल है। हाईकोर्ट पहुंचे पूर्व सांसद लालमणि पूर्व सांसद लालमणि प्रसाद ने बताया कि वह 26 साल से जिला पंचायत के आवास में रह रहे हैं। उनका अनुबंध जुलाई 2021 तक का है। जनवरी 21 तक का किराया भी जमा है। 11 फरवरी को वह डीएम से मिलकर उनसे यथावत बने रहने देने का अनुरोध किया था। उनके पास न तो बस्ती में कोई मकान है न ही कोई जमीन। इसके बाद भी 12 फरवरी को उन्हें आवास खाली करने का निर्देश दिया गया। आरोप लगाया कि बैक डेट में 10 फरवरी को उनका आवंटन भी निरस्त कर दिया गया। ऐसे में उन्हे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। शासन के निर्देश पर ही आवासों को खाली कराया गया है। अब तक कुल 18 आवासों को खाली कराया जा चुका है। इसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया गया है।
विकास मिश्र, अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत