ओडीएफ की असलियत बता रही हाईवे की गंदगी
सरकारी दस्तावेज कुछ और बयां कर रहे हैं, धरातल पर तस्वीर कुछ और है। यह बेमेल स्थिति स्वच्छता अभियान की है। एक-एक गांव धड़ाधड़ खुले में शौच मुक्त यानी ओडीएफ हो रहे हैं। वास्तविक तस्वीर एकदम अलग है। सच देखना हो तो मुख्यालय से गुजर रहे हाईवे पर आइए
बस्ती : सरकारी दस्तावेज कुछ और बयां कर रहे हैं, धरातल पर तस्वीर कुछ और है। यह बेमेल स्थिति स्वच्छता अभियान की है। एक-एक गांव धड़ाधड़ खुले में शौच मुक्त यानी ओडीएफ हो रहे हैं। वास्तविक तस्वीर एकदम अलग है। सच देखना हो तो मुख्यालय से गुजर रहे हाईवे पर आइए। हड़िया चौराहा के पास सर्विस लेन पर लोग खुले में शौच कर रहे हैं। हाईवे का किनारा और सर्विस लेन हर सुबह-शाम गंदगी से पट रहा है। आबोहवा यहां की खराब है। बदबू इस कदर कि पैदल और खुले वाहन से चलने के दौरान नाक पर रुमाल रखने की मजबूरी है। यह हाल है तब है जबकि सरकारी अभिलेख में आस-पास के गांव ओडीएफ घोषित हैं। बावजूद यहां गंदगी स्वच्छता अभियान पर सवालिया निशान है। साऊंघाट विकास क्षेत्र के हड़िया चौराहा पर बने ओवर ब्रिज के सर्विस रोड के दोनों तरफ खुले में शौच होने से गंदगी पसरी हुई है। लोगों को इस रास्ते से निकलना दुभर हो गया है। शाम ढलने के बाद या भोर में दोनों तरफ लोग शौच के लिए सड़क पर बैठ रहे हैं। सड़क की पटरी भी शौच के उपयोग में आ रही है। सुबह-शाम टहलने के लिए निकलने वाले लोग असहज स्थिति का सामना करते हैं। नाक बंद कर लोग तेजी से कदम बढ़ाते हैं। अगल-बगल के निवासी भी काफी परेशान हैं। शौच करने वाले भी पास पड़ोस के गांव के ही लोग होते हैं। उनके पास भी कोई विकल्प नहीं है। खुले में शौच को वह विवश है। हालांकि कई बार इसको लेकर नागरिकों में झड़प भी हो जाती है। एनएचएआइ की ओर से भी इस पर कोई पाबंदी नहीं लगाई जा रही है। यहां तो हर रोज स्वच्छता अभियान को पलीता लग रहा है। कमोवेश यहीं हाल पुरानी बस्ती क्षेत्र के रेल लाइन का है। पांडेय बाजार, नरहरिया, घरसोहिया, मचखिरिया, रहठौली आदि गांवों के लोग रेल लाइन के किनारे खुले में शौच करते हैं।
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शुरू हुआ शौचालयों का निर्माण
बरसात का मौसम होने की वजह से शौचालयों के निर्माण में अपेक्षित प्रगति नहीं आ पाई थी। अब यह कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कराया गया है। ग्राम पंचायत के प्रत्येक जरूरतमंद परिवार को शौचालय की सुविधा दी जा रही है। वैसे सड़क पर गंदगी का मुख्य कारण जागरूकता का अभाव है। इसके लिए एक-एक नागरिक को जागरूक होना चाहिए।
जितेंद्र कुमार, ग्राम प्रधान, हड़िया, बस्ती।