योग से हुए निरोग,सिखा रहे योग

1999 में बस्ती जिले में आ गए और 31 दिसंबर 2011 को यहीं सेवानिवृत्त हो गए। बस्ती में भी कई चिकित्सकों से इलाज कराया लेकिन दर्द नहीं गया। इस बीच लोगों से योग के बारे में काफी कुछ सुना। योग सीखने और कुछ करने की जिज्ञासा जगी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 11:20 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 11:20 PM (IST)
योग से हुए निरोग,सिखा रहे योग
योग से हुए निरोग,सिखा रहे योग

बस्ती: करो योग,रहो निरोग इसे चरितार्थ कर दिखाया बस्ती के भटोलवा निवासी 70 वर्षीय सुभाष चंद्र आर्य ने। सिचाई विभाग से सेवानिवृत्त आर्य का 1975 में विभागीय कार्य के दौरान ट्रैक्टर पलटने से शरीर का एक हिस्सा दब गया था, जिससे अंदरूनी गंभीर चोट आई थी। यह बात तब की है, जब वह सीतापुर जिले में तैनात थे। लखनऊ में डाक्टरों से दवा-इलाज कराया, लेकिन अंदरूनी दर्द नहीं गया। वह न झुक पाते थे और न ही कोई सामान उठा सकते थे।

1999 में बस्ती जिले में आ गए और 31 दिसंबर 2011 को यहीं सेवानिवृत्त हो गए। बस्ती में भी कई चिकित्सकों से इलाज कराया, लेकिन दर्द नहीं गया। इस बीच लोगों से योग के बारे में काफी कुछ सुना। योग सीखने और कुछ करने की जिज्ञासा जगी। आर्य समाज गांधीनगर में योग का प्रशिक्षण लेकर भस्त्रिका,कपालभाति और अनुलोम-विलोम करना सीखा। डेढ़ साल तक नियमित योग करते रहे। धीरे- धीरे पुरा दर्द न केवल चला गया, बल्कि पहले की तरह सब काम करने लगे।

ईश्वर की कृपा मान वह योग में रम गए। हरिद्वार में स्वामी रामदेव के सानिध्य में विधिवत योग का प्रशिक्षण लिया। तब से योग के सहारे लोगों को निरोग बनाने को जीवन का मिशन बना लिए। वर्ष 2012 से वह निरंतर आर्यसमाज गांधी नगर में लोगों को योग विद्या का निश्शुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं। 50 से अधिक लोगों को पुराने असाध्य बीमारियों से ठीक कर चुके हैं। बताया कि 19 वर्षीय रणजीत चौधरी निवासी भुअर सराय का दायां पैर काम नहीं कर रहा था। उन्हें योग से तीन महीने में ठीक कर दिया। अब वह अपने पैर पर खड़े होकर चलने लगे हैं। इसी तरह 70 साल के राम प्रताप चौधरी निवासी रोडवेज तिराहा के दोनों पैर जाम हो गए थे। वह उठ -बैठ नहीं पाते थे। इनको भी नियमित योगासन के जरिये स्वस्थ कर दिया। खीरीघाट भटोलवा निवासी 65 वर्षीय ओपी श्रीवास्तव को हर्ट की बीमारी थी। डाक्टरों ने आपरेशन की सलाह दी तो वह काफी चितित रहते थे। आर्य ने बताया कि छह साल पहले की बात है। हमने उनको अनुलोम विलोम के बारे में बताया। बेमन से पहले वह जुडे़। जब आराम दिखाई दिया तो नियमित योगाभ्यास करने लगे। हर्ट की बीमारी ठीक हो गई और आपरेशन से भी बच गए। शरीर में ताजगी और ऊर्जा भी देता है योग

सर्वप्रथम कोई व्यायाम अथवा जागिग कीजिए, ताकि शरीर ऊर्जा से भर जाए और स्फूर्ति व ताजगी आ जाए। तब अनुलोम-विलोम कीजिए। इससे इंगला पिगला और सुषुम्ना नाड़ी का शुद्धिकरण होता है और श्वास में संतुलन सधता है। जब दोनों नासिकाओं से समान रूप से श्वसन होने लगे, तब भस्त्रिका,कपालभाति और अनुलोम-विलोम कीजिए। इन तीनों का करना अनावश्यक है। कहा कि कोरोना जैसे संक्रमण और अनेक असाध्य अज्ञात रोग आदि सही तरीके से श्वांस लेने-छोड़ने से मिट जाते हैं। मानसिक रूप से परेशान एवं तनाव झेल रहे लोगों को यह उपाय अत्यंत लाभकारी सिद्ध होगा। सांस लेने-छोड़ने की इस प्रक्रिया से तन-मन,अंतर्मन के विकार दूर होंगे साथ ही अनेक बीमारियों से छुटकारा मिलेगा। सूर्यभेदन से रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बलवती होती है।

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