संभल कर चलाएं वाहन,बेसहारा पशुओं का आरामगाह बना फोरलेन
एडीएम अभय कुमार मिश्र ने बताया कि फोरलेन पर बढ़ते हादसों को रोकने के लिए सुरक्षा के उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं। बेसहारा पशुओं का प्रवेश रोकने के लिए एनएचएआइ के अधिकारियों को व्यवस्था करनी चाहिए। इससे कानून व्यवस्था प्रभावित होने की नौबत आई तो जिम्मेदार प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बस्ती: सावधानी हटी,दुर्घटना घटी। यह स्लोगन बस्ती-लखनऊ फोरलेन पर सटीक बैठती है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के अफसरों की उदासीनता के चलते सुरक्षित और आरामदायक सफर वाला यह फोरलेन बेसहारा पशुओं का आरामगाह बन गया है। सड़क पर इनकी सरपट दौड़ देख डरे चालक अनियंत्रित होकर हादसे के शिकार हो रहे हैं,लेकिन टोल कंपनी की निद्रा नहीं टूट रही है। केवल बस्ती जिले की सीमा में ही 240 दिन में 240 बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
बस्ती जिले में सुरक्षित यात्रा के लिए गांव और कस्बों के किनारे लगे सुरक्षा बाड़ गायब हो चुके हैं। खेत-खलिहान और गांवों से निकलकर बेसहारा पशु फोरलेन पर डेरा जमाए हुए हैं। इनकी धमाचौकड़ी 24 घंटे देखी जा सकती है। हर्रैया से लेकर घघौआ तक सड़क पर बेसहारा पशुओं का कब्जा है। इनमें हिसक लड़ाई होने पर वाहनों का संचलन ठप हो जाता है। कई बार यह पशु राहगीरों के साथ वाहनों को भी क्षति पहुंचा देते हैं। कांटे से लेकर घघौआ तक बेसहारा पशुओं का झुंड फोरलेन पर विचरण करते देखा जा सकता है। हर्रैया तहसील क्षेत्र में यह समस्या कुछ ज्यादा ही है। दिन में तो यह पशु वाहन चालकों को दिखाई दे देते हैं लेकिन रात के अंधेरे में नजर नहीं आते। जिससे वाहन दुर्घटनाएं बढ़ गई हैं। तेज रफ्तार वाहनों से टकराकर प्रतिदिन दो-चार की संख्या में बेसहारा पशु मर रहे हैं या फिर घायल हो रहे। टैक्स वसूली तक सिमट कर रह गई है टोल कंपनी
एनएचएआइ के टीम लीडर केपी सिंह ने बताया कि फोरलेन के रखरखाव से लेकर सुरक्षा तक की जिम्मेदारी टोल वसूली में लगी कंपनी की है। हालांकि इसकी गतिविधियां टोल वसूली तक ही सिमट कर रह गई हैं। सपा नेता यज्ञेश पांडेय ने कहा कि एक दशक पहले चमकने वाला यह फोरलेन उपेक्षा का शिकार हो गया है। आए दिन हो रहे हादसों को लेकर लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है,जो कभी भी विस्फोटक रूप ले सकता है। एडीएम अभय कुमार मिश्र ने बताया कि फोरलेन पर बढ़ते हादसों को रोकने के लिए सुरक्षा के उपाय करने के निर्देश दिए गए हैं। बेसहारा पशुओं का प्रवेश रोकने के लिए एनएचएआइ के अधिकारियों को व्यवस्था करनी चाहिए। इससे कानून व्यवस्था प्रभावित होने की नौबत आई तो जिम्मेदार प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।