सुहागिनें आज रखेंगी करवा चौथ का व्रत,अखंड सौभाग्य की करेंगी कामना
शनिवार को सजी रही सौंदर्य प्रसाधन व पूजा सामग्री की दुकानें बाजार में रही रौनक पार्लर व मेंहदी की दुकानों पर लगी रही भीड़
जागरण संवाददाता, बस्ती : सुहागिनें पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रविवार को करवाचौथ का व्रत रखेंगी। इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जल व्रत रखने के बाद शाम को चांद देखकर व्रत का परायण करेंगी। इस पर्व को लेकर बाजार में चहल-पहल रही। मेंहदी और पार्लर की दुकानों पर पूरे दिन भीड़ लगी रही। बाजार में पूजा सामग्री हो या फिर साज-श्रृंगार की दुकान। खरीदारी में महिलाएं लीन रहीं। गांधीनगर बाजार, शालीमार मार्केट, कंपनीबाग, कटराचुंगी, धर्मशाला रोड सहित अन्य जगहों पर सौंदर्य प्रसाधन और पूजा सामग्री की दुकानें सजी रहीं।
रविवार को सूर्योदय से पहले महिलाएं उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर नियमित होने वाली पूजा-अर्चना के बाद पूरा दिन निर्जल व्रत रखेंगी। इस दिन भगवान शिव, गणेश और स्कन्द यानी कार्तिकेय व गौरी के चित्र की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन में पति का साथ हमेशा बना रहता है। साथ ही अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और जीवन में सुख-शांति रहती है। पहली बार करवाचौथ का व्रत रखने वाली आवास विकास की पूनम ने बताया कि व्रत को रखने के लिए वह काफी उत्सुक है। सभी तैयारियां पूरी कर ली है। कुदरहा की भगतपुरा की रहने वाली रेनू यादव ने बताया कि पहला व्रत होने के नाते सभी तैयारियों को समय से पूरा कर लिया है। सुबह निर्जल व्रत रहेंगी।
पं. देवस्य मिश्र ज्योतिषाचार्य ने बताया कि करवाचौथ महापर्व इस बार रवियोग में पड़ रहा है। गौरी गणेश की पूजा करने के बाद रात में 08.03 बजे चंद्रोदय का दर्शन करने के बाद व्रती महिलाएं परायण करेंगी।
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करवाचौथ की पूजन विधि
करवाचौथ पूजा करने के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ कर लें। लकड़ी की चौकी पर शिवजी, मां गौरी और गणेश की तस्वीर स्थापित कर लें। उसके बाद उत्तर दिशा में एक जल से भरा कलश स्थापित कर उसमें अक्षत डाल दें। इसके बाद कलश पर रोली व अक्षत का टीका लगाएं और गर्दन पर मौली बांधें। तीन जगह चार-चार पूड़ी और चार लड्डू ले लें अब एक हिस्से को कलश के ऊपर, दूसरे को मिट्टी तथा करवे पर और तीसरे हिस्से को पूजा के समय महिलाएं अपनी साड़ी अथवा चुनरी के पल्लू में बांधकर रख लें।
इसके बाद करवा माता के सामने घी का दीपक जलाकर कथा का पाठ करें। पूजा करने के बाद साड़ी के पल्लू और करवे पर रखे प्रसाद को बेटे या अपने पति को तथा कलश पर रखे प्रसाद को गाय को खिला दें। पानी से भरे कलश को पूजा स्थल पर ही रहने दें। चंद्रोदय के समय इसी कलश के जल से चंद्रमा को अर्घ्य दें और घर में जो कुछ भी बना हो उसका भोग चंद्रमा को लगाएं। इसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत का परायण करें।