श्रीराम और रावण की सेना के बीच हुआ युद्ध का मंचन

दर्शकों का उत्साह देखते बन रहा था वहीं अशोक वाटिका के प्रसंग ने भावुक कर दिया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 11:26 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 11:26 PM (IST)
श्रीराम और रावण की सेना के बीच हुआ युद्ध का मंचन
श्रीराम और रावण की सेना के बीच हुआ युद्ध का मंचन

जासं,बस्ती: सनातन धर्म संस्था और श्रीरामलीला महोत्सव आयोजन समिति की ओर से अटल बिहारी वाजपेई प्रेक्षागृह में चल रहे श्रीराम लीला के दसवें दिन व अंतिम दिन श्रीराम और रावण की सेना में भीषण संघर्ष का मंचन हुआ।

रामलीला में लंका दहन के दृश्य में जहां दर्शकों का उत्साह देखते बन रहा था वहीं अशोक वाटिका के प्रसंग ने भावुक कर दिया। कुंभकरण वध, मेघनाद वध, अहिरावण वध, रावण वध, राम-भरतमिलन, श्रीराम राज्याभिषेक की लीला का मंचन किया गया। लक्ष्मण मेघनाथ युद्ध, कुंभकरण वध के बाद रावण वध का मंचन देख दर्शकों ने कलाकारों की सराहना की। संचालन अनुराग शुक्ल व पंकज त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से किया। अखिलेश दूबे, कैलाश नाथ दूबे, सुनील सिंह, कौशल गुप्ता, डा. डीके गुप्ता, डा. निधि गुप्ता, अभिषेक मणि त्रिपाठी, ओमकार मिश्र, राम सिंह, राघवेंद्र मिश्र, रमेश सिंह, सुभाष शुक्ल, बृजेश सिंह मुन्ना, राहुल त्रिवेदी मौजूद रहे। प्रभु को पाने के लिए चलना पड़ता है भक्ति के मार्ग पर

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कथावाचक ब्रम्हचारी शिवबली चौबे महाराज ने कहा कि प्रभु को पाने के लिए भक्ति के मार्ग पर चलना पड़ता है। भक्त प्रह्लाद की कथा सुनाते हुए कहा कि सौतेली मां सुरुचि से अपमानित होने पर भी ध्रुव की मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया। इसके बाद उन्होंने प्रह्लाद के बारे में बताया कि वह किस तरह भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहते थे। उनके पिता हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानते थे। पुत्र को भगवान विष्णु की भक्ति करते देख उन्होंने उसे ही जान से मारने की ठान ली। प्रभु पर सच्ची निष्ठा और आस्था की वजह से हिरण्यकश्यप प्रह्लाद का कुछ भी अनिष्ट नहीं कर पाए। सुनील गुप्ता, संजय द्विवेदी, विवेक गिरोत्रा, भवानी प्रसाद शुक्ला, राजाराम गुप्ता, अयोध्या प्रसाद साहू, गौरव साहू, सन्तराम, हरिमोहन सर्राफ मौजूद रहे।

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