दिल के रोगी डाक्टर कोरोना मरीजों की सेवा में भूल गए अपना दर्द

ओपन हार्ट सर्जरी कराने के बाद कोविड वार्ड में ड्यूटी में जुटे जूनियर डाक्टर

By JagranEdited By: Publish:Sun, 23 May 2021 11:28 PM (IST) Updated:Sun, 23 May 2021 11:28 PM (IST)
दिल के रोगी डाक्टर कोरोना मरीजों की सेवा में भूल गए अपना दर्द
दिल के रोगी डाक्टर कोरोना मरीजों की सेवा में भूल गए अपना दर्द

जागरण संवाददाता,बस्ती : कोरोना मरीजों की सेवा में महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कालेज के एक जूनियर डाक्टर अपना दर्द भूल गए। डाक्टर सत्यप्रकाश एक ऐसे कोरोना योद्धा हैं,जिनकी ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी है लेकिन कोरोना मरीजों की सेवा में जुटे हैं।

डाक्टर सत्यप्रकाश ने 2018 में किग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। अप्रैल 20 तक वह यहीं के हार्ट सर्जरी विभाग में बतौर जूनियर डाक्टर कार्यरत रहे। इस बीच दिल की गंभीर बीमारी की चपेट में आ गए। फरवरी 2019 में लखनऊ के ही एक निजी अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी करानी पड़ी। वाल्व बदले जाने के दो-तीन महीने तक आराम करने की सलाह दी गई थी लेकिन डेढ़ महीने बाद ही वह मरीजों की सेवा में जुट गए। 2019 में शादी होने के बाद पत्नी प्रतिमा सिद्धार्थ इलाहालाबाद से स्थानांतरित होकर बस्ती आ गई। प्रतिमा भारतीय खाद्य निगम में तकनीकी सहायक के पद पर कार्यरत हैं। इसी वजह से डाक्टर सत्यप्रकाश मई 20 में लखनऊ से बस्ती आ गए और महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कालेज में जूनियर डाक्टर बन गए।

तब से वह लगातार कोविड वार्ड में ही ड्यूटी कर रहे हैं। कोरोना की पहली लहर में वह कोरोना मरीजों के बीच रहते हुए खुद को सुरक्षित बचाए रखा। दूसरी लहर में नौ मई को ड्यूटी के दौरान वह कोरोना संक्रमित हो गए। सर्दी, जुकाम और बुखार से पीड़ित होने के बाद नौ मई को कोविड जांच कराई। जांच में पाजिटव पाए जाने के बाद होम आइसोलेट हो गए। संक्रमण की चपेट में आने के बाद हौसला नहीं खोया। पत्नी ने भी हर कदम पर हौसला आफजाई की। बेहतर खानपान और दवा से वह होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना की जंग जीत चुके हैं। 17 मई को दोबारा कोविड की कराई गई जांच में वह निगेटिव हो गए। फिलहाल 36 वर्षीय डाक्टर सत्यप्रकाश फिट हैं और सोमवर 25 मई से फिर से कोविड वार्ड में मरीजों की सेवा को तैयार हैं।

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