पोलियो करेक्टिव सर्जरी के लिए पहले दिन 40 बच्चे हुए चिह्नित

जिला अस्पताल के नए ओटी भवन में लगा कैंप बड़ी संख्या में पहुंचे दिव्यांग

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 10:52 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 10:52 PM (IST)
पोलियो करेक्टिव सर्जरी के लिए पहले दिन 40 बच्चे हुए चिह्नित
पोलियो करेक्टिव सर्जरी के लिए पहले दिन 40 बच्चे हुए चिह्नित

जागरण संवाददाता, बस्ती : पोलियो से ग्रसित टेढ़े-मेढ़े पैर वाले दिव्यांगजनों की पोलियो करेक्टिव सर्जरी के तीन दिवसीय कैंप का शुभारंभ सोमवार को सीडीओ डा. राजेश कुमार प्रजापति ने फीता काटकर किया। पहले दिन 40 बच्चों को सर्जरी के लिए चिह्नित किया गया।

दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग की ओर से कैंप का आयोजन किया जा रहा है। पहले दिन बड़ी संख्या में दिव्यांगजन कैंप में पहुंचे। जिन दिव्यांगों को चिह्नित किया गया है, उनकी सर्जरी अभिभावकों की सहमति के बाद जिला अस्पताल में दिल्ली से डा. अरुण जैन के नेतृत्व में आई विशेषज्ञों की टीम द्वारा किया जाएगा। कार्यक्रम में शून्य से लेकर 22 वर्ष तक के वयस्कों को शामिल किया गया है। जो बच्चे जन्मजात पोलियो आदि के कारण समस्या ग्रस्त हैं, पैर टेढ़े-मेढ़े हैं, उनका पंजीकरण कर निश्शुल्क आपरेशन किया जाना है। बच्चों को लाने के लिए ब्लाकों पर साधन मुहैया कराए गए थे। वहां से इन्हें जिला अस्पताल लाया जा रहा था। जिला अस्पताल में अलग-अलग ब्लाकों का काउंटर बनाकर उनका पंजीकरण किया जा रहा था। पहले दिन 213 मरीजों का पंजीकरण किया गया। इसके बाद डॉ. अरूण जैन की टीम द्वारा बच्चों को चिन्हि्त किया गया। 40 मरीज आपरेशन योग्य चुने गए। डा. जैन ने बताया कि दिल्ली सोसायटी सर्जरी टीम व केयर फॉर डिसेबल्ट सामाजिक संस्था द्वारा दिव्यांगजन कल्याण विभाग लखनऊ के सहयोग से दो दिन का कैंप जिला अस्पताल में कर रहा है। दो दिन में कम से कम 100 मरीजों के ऑपरेशन का हमारा लक्ष्य है। प्रत्येक सोमवार की तरह इस सोमवार को दिव्यांगजनों का प्रमाणपत्र बनाने के लिए कैम्प स्थल पर ही वृहद आयोजन किया गया। इस अवसर पर दिव्यांग बोर्ड में चिकित्सकों की संख्या बढ़ा दी गई थी। ईएनटी, सर्जन व अन्य चिकित्सक मौजूद रहे। कुल 91 लोगों को दिव्यांगता प्रमाणपत्र वितरित किया गया। एसआइसी डा. आलोक वर्मा, सीएमओ डा. अनूप कुमार श्रीवास्तव, एसीएमओ डा. फखरेयार हुसैन, डा. सीएल कन्नौजिया, डा. एके कुशवाहा, डा. एसएस कन्नौजिया, डा. एके दूबे, उमेश वर्मा, महेश आदि ने सहयोग किया।

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