सजगता से ही एड्स को कर सकते हैं नियंत्रित

विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर गोष्ठी में दिए बचाव के संदेश

By JagranEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 06:45 AM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 06:45 AM (IST)
सजगता से ही एड्स को कर सकते हैं नियंत्रित
सजगता से ही एड्स को कर सकते हैं नियंत्रित

जागरण संवाददाता, बस्ती : विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर सोमवार को मानव आवश्यकता सेवा संस्थान की ओर से रौता चौराहे के पास एक गोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें एड्स बीमारी से बचाव के संदेश दिए गए।

अध्यक्ष सज्जन कुमार ने कहा कि कोरोना संकट काल में एचआइवी एड्स का खतरा टला नहीं है। अभी तक एचआइवी-एड्स का वैक्सीन विकसित नहीं हो सका है। ऐसी स्थिति में जागरूकता से बचाव ही इसका उपचार है। कहा कि चिकित्सकों ने एड्स की रोकथाम के लिए असुरक्षित यौन संबंध बंद करने, संक्रमित सूई का उपयोग न करने, खून चढ़ाने में सावधानी आदि के जो नियम बनाए हैं उसके पालन से एड्स नियंत्रित हुआ है, किन्तु समाप्त नहीं हुआ है।

सामाजिक कार्यकर्ता विशाल पांडेय ने एड्स के कारकों पर विस्तार से प्रकाश डाला। कहा कि दुनिया में इस बीमारी से मौतों का सिलसिला थमा है किन्तु सजगता से ही हम इस पर पूर्ण विजय प्राप्त कर सकते हैं। गोष्ठी में सत्येंद्र चौहान, सूरज, कुलदीप, सरोजनी, दीपिका आदि ने एड्स के साथ ही कोरोना से भी बचाव की जानकारी दिया। होम्योपैथी से एचआइवी संक्रमण का प्रभाव रोकना संभव : डा. दीपक बस्ती : आमतौर पर एड्स को लेकर समाज का नजरिया बेहद नकारात्मक होता है। जानकर बेहद हैरानी होगी कि अधिकांश एड्स मरीज इन्हीं सब कारणों से मानसिक अवसाद के शिकार हो जाते हैं। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में 36.9 मिलियन लोग एड्स के शिकार हैं। भारत में तकरीबन 16 लाख लोग एड्स के शिकार हैं। डब्लूएचओ से जुड़े जेम्स डब्लू बुन और थामस ने सन 1987 में एड्स के बारे में बताया था। सबसे पहले साउथ अफ्रीका में एक विशेष प्रजाति के बंदर में देखा गया। एचआइवी अर्थात ह्यूमन इम्युनो डिफीसियन्सी वायरस के इंफेक्शन के कारण एड्स होता है। होम्योपैथी चिकित्सा विकास महासंघ के राष्ट्रीय सचिव एवं आरोग्य भारती के प्रांतीय उपाध्यक्ष डा. दीपक सिंह ने बताया कि एचआइवी के लक्षण दो से छह सप्ताह में दिखने लगते हैं। एचआइवी संक्रमण को एड्स तक पहुचने में आठ से 10 वर्ष तक लग जाते हैं। एचआइवी संक्रमण के कारण इम्यून सिस्टम अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता बिगड़ने लगती है। प्रारंभिक लक्षण सरदर्द, तेज बुखार, स्किन पर धब्बे, सर्दी जुखाम, लीवर की गड़बड़ी, उल्टी, पेट दर्द, शरीर मे दर्द आदि हो सकते हैं। इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होने की वजह से दवाइयों का असर मरीज में नही हो पाता है। होम्योपैथिक विशेषज्ञों ने होम्योपैथी विधा से इसके उपचार के लिए शोध कार्य किए गए हैं। जिसके सकारात्मक परिणाम देखे गए हैं। होम्योपैथी लक्षणों पर आधारित चिकित्सा पद्धति है यदि समय से एचआइवी ग्रसित मरीजों की पहचान कर ली जाए तो होम्योपैथिक उपचार से एड्स पीड़ित मरीजों को बचाया जा सकता है। बेसिलीनम, सिफिलीनम, टूबरकुलीनम, आर्सेनिक, कालीआयोड, कालीकार्ब, इंफ्लुएंजम, ऐसी कई होम्योपैथिक औषधियां हैं जिनसे एचआइवी संक्रमण के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

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