मुफ्त इलाज पाकर खिले 9935 गरीबों के चेहरे
सदर ब्लाक के ग्राम बसहवा निवासी सतीश चंद्र का परिवार आयुष्मान भारत योजना में शामिल है। गोल्डन कार्ड बनवाने और इलाज कराने में तमाम दुश्वारियां झेल चुके हैं। परिवार के सदस्य रजनीश ने बताया कि किसी तरह कार्ड तो बना लेकिन आयुष्मान का लाभ महिला अस्पताल से नहीं मिल सका।
बस्ती : आयुष्मान भारत योजना के तीन साल पूरे हो गए हैं। इस दौरान 9935 गरीबों के चेहरे पर इलाज के जरिये मुस्कान लौटाई गई है। इनके इलाज पर सरकार ने 8.95 करोड़ रुपये खर्च किए। हालांकि, इन सबके बीच अब भी इलाज में दुश्वारियां हो रही हैं।
जिले में 17 सरकारी व निजी अस्पताल योजना के तहत पंजीकृत हैं। हर साल पांच लाख रुपये तक इस योजना के पात्रों व उनके परिवार के सदस्यों को जिनका नाम कार्ड में है, मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है, लेकिन पंजीकृत अस्पतालों में अभी भी लोग दुश्वारियां झेल रहे हैं। गोल्डन कार्ड भी ज्यादातर के पास नहीं है। आयुष्मान भारत योजना की जिला समन्वयक डा. स्वाती त्रिपाठी ने बताया कि योजना में शामिल सदस्यों का गोल्डन कार्ड नियमित बनवाया जा रहा है। इलाज में किसी को असुविधा न हो इसके लिए प्रयास किया जाता है। योजना के आंकड़े पर एक नजर
- पात्र व्यक्ति - करीब सात लाख
- कार्ड बने - 1,67,112
- इतने इलाज कराए - 9935 केस स्टडी-एक : जिले के महसो गांव निवासी रामवृक्ष के दोनों पैर खराब हो चुके थे। इतना पैसा नहीं था कि वह निजी अस्पताल में रुपये खर्च कर इलाज करा सकें। पीएमसी हास्पिटल में संपर्क किए। वहां कार्ड देखने के बाद घुटने का आपरेशन हुआ। एक लाख 60 हजार रुपये का खर्च आया है। धीरे-धीरे रामवृक्ष ठीक हो चुके हैं। निश्शुल्क इलाज की सुविधा पाकर परिवार के लोग बेहद खुश हैं। केस स्टडी-दो : सदर ब्लाक के ग्राम बसहवा निवासी सतीश चंद्र का परिवार आयुष्मान भारत योजना में शामिल है। गोल्डन कार्ड बनवाने और इलाज कराने में तमाम दुश्वारियां झेल चुके हैं। परिवार के सदस्य रजनीश ने बताया कि किसी तरह कार्ड तो बना, लेकिन आयुष्मान का लाभ महिला अस्पताल से नहीं मिल सका।