शाहजहांपुर में जन्मदिन पर लेखपाल ने गोली मारकर दी जान
डिप्रेशन के शिकार लेखपाल ने सोमवार सुबह गोली मारकर जान दे दी। परिजनों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
शाहजहांपुर(जेएनएन)। सदर तहसील में तैनात लेखपाल ने खुद को गोली मारकर जान दे दी। मुक्ति का दिन भी उन्होंने जन्मदिन पर चुना। परिजनों और साथी कर्मचारियों का कहना है, माइग्रेन से वे पहले ही पीडि़त थे। ऊपर से काम का बोझ लगातार बढ़ रहा था। छुट्टी में भी दो दिन से लगातार ड्यूटी पर रहना पड़ा। सोमवार को सामूहिक विवाह समारोह में जिम्मेदारी सौंप दी। आए दिन के यह दबाव वे झेल नहीं पाए और मौत चुन ली।
चौक कोतवाली क्षेत्र के मुहल्ला गौहरपुरा निवासी सुधीर कुमार सक्सेना (44) सदर तहसील में लेखपाल थे। परिजनों के मुताबिक, रात में खाना खाने के बाद वह बरामदे में दीवान पर सो गए। सुबह करीब छह बजे अचानक गोली चलने की आवाज सुनाई दी। कमरे में सो रहीं उनकी पत्नी लक्ष्मी सक्सेना बाहर आईं तो सुधीर दीवान पर खून से लथपथ पड़े थे। उनकी कनपटी पर दायीं ओर गोली लगी थी। पास में तमंचा पड़ा था। जब तक अस्पताल ले जाने की व्यवस्था होती, उनकी मौत हो गई थी। चौक इंस्पेक्टर राजकुमार तिवारी फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। बाद में एएसपी सिटी दिनेश त्रिपाठी व सीओ सदर बल्देव सिंह भी पहुंचे।
छुट्टी के दिन भी किया काम
साथी लेखपालों ने बताया कि मंगलवार को मंडलायुक्त का निरीक्षण होना है। इसलिए शनिवार और रविवार को अवकाश होने के बाद भी विभागीय काम करना पड़ा। सुधीर देर रात तक कार्यालय में रुके थे। बताया जाता है कि वह काफी समय से माइग्रेन की बीमारी से पीडि़त थे। जिस कारण अक्सर उनके सिर में दर्द होता था। उन्हें अक्सर नींद नहीं आती थी। ऊपर से काम का तनाव था। रविवार रात अचानक तहसीलदार का मोबाइल पर मैसेज आया है कि सोमवार को ओसीएफ रामलीला मैदान में होने वाले सामूहिक विवाह कार्यक्रम में ड्यूटी लगा दी गई।
जन्मदिन की तैयारी थी, जिंदगी खत्म कर ली
परिजनों के मुताबिक सोमवार को सुधीर का जन्मदिन था। रविवार को वह समय निकालकर 17 वर्षीय बेटी आयुषी और नौ वर्षीय बेटे कृष्णा के साथ बाजार गए थे। वहां उन्होंने बच्चों की पसंद के कपड़े खरीदे थे। बच्चों ने भी पापा के लिए गिफ्ट खरीदा था। सुधीर ने कहा था कि वह जन्मदिन की पार्टी किसी होटल में करेंगे। कुछ खास लोगों का पार्टी की दावत दे दी गई थी, लेकिन उससे पहले यह घटना हो गई। घटना के बाद पत्नी लक्ष्मी पति की मौत से बेसुध हो गईं हैं। वहीं, बेटी आयुषी औ बेटे कृष्णा का रो-रो कर बुरा हाल है।
घटना के समय घर के दरवाजा था खुला
परिजनों ने घटना के समय घर का दरवाजा खुले होने की बात बताई। जिस पर कोतवाल राजकुमार तिवारी ने बताया कि मकान में दो दरवाजे लगे हैं। दोनों ही दरवाजों के ताले सुधीर के मकान में किराये पर रह रहे किरायेदार अभिषेक जायसवाल ने खोले थे।
तहसीलदार बोले, डीएम के निर्देश पर लगाई थी ड्यूटी
लेखपाल पिछले काफी समय से परेशान थे। उनको माइग्रेन और नींद नहीं आने बीमारी थी। जिसका इलाज चल रहा था। काम का ऐसा कोई बोझ नहीं था, जिससे इतना बड़ा कदम उठाते। शुक्रवार को सुधीर तबीयत नहीं खराब होने की बात कहकर घर चले गए थे। अचानक ड्यूटी डीएम के निर्देश पर लगाई गई थी।- मोनालिसा, तहसीलदार
पड़ताल में आत्महत्या की पुष्टि
लेखपाल डिप्रेशन के शिकार थे। इसी के चलते आत्मघाती कदम उठा लिया। मौके से तमंचा भी बरामद हो गया है। जांच पड़ताल में आत्महत्या की पुष्टि हुई है।- दिनेश त्रिपाठी, एसपी सिटी
घटना दुखद, संघ के सामने रखनी चाहिए थी परेशानी
सुधीर अपनी बीमारी की वजह तो परेशान तो थे ही, साथ में ही उन्हें काम भी तनाव था। अगर ऐसी कोई समस्या थी तो अधिकारियों या संघ के सामने रखनी चाहिए थे। आत्महत्या कोई समाधान नहीं हो सकता है। संघ हमेशा अपने साथियों की मदद के लिए तैयार है। यह घटना काफी दुखद है। - अजय चौधरी, जिला मंत्री लेखपाल संघ