World Tiger Day : पीलीभीत के जंगल में जवां बाघों की बहार, जंगल में दिख रहे 4 से 10 साल के बीच के बाघ
World Tiger Day टाइगर रिजर्व ही नहीं बल्कि जंगल में बाघ भी जवां हैं। जंगल के विभिन्न रेंजों में लगे ट्रैप कैमरों में अक्सर बाघों की तस्वीरें कैद होती रहती हैं। इन तस्वीरों से अध्ययन से जाहिर हो रहा कि बाघों की उम्र 4 से लेकर 10 साल है।
बरेली, जेएनएन। World Tiger Day : टाइगर रिजर्व ही नहीं बल्कि जंगल में बाघ भी जवां हैं। जंगल के विभिन्न रेंजों में लगे ट्रैप कैमरों में अक्सर बाघों की तस्वीरें कैद होती रहती हैं। इन तस्वीरों से अध्ययन से जाहिर हो रहा कि जंगल में वास कर रहे ज्यादातर बाघों की उम्र 4 से लेकर 10 साल तक है। यानि वे सभी जवान और तंदुरुस्त हैं। बाघों की अच्छी सेहत का राज यहां भरपूर भोजन (तृणभोजी वन्यजीव) और पानी के साथ ही छिपने के माकूल स्थल उन्हें आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।
जन्म लेने के बाद शावक दो सवा दो साल तक ही अपनी मां (बाघिन) के साथ रहते हैं। इसके बाद वे साथ छोड़कर जंगल में अपनी टेरेटरी बनाने लगते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नर शावक की अपेक्षा मादा शावक अपनी मां के साथ कुछ अधिक समय तक रहती है। इस तरह से तीन साल की उम्र पूरी करते करते शावक की गिनती बाघ के तौर पर होने लगती है। वह स्वतंत्र रूप से शिकार करने लगता है। पिछली गणना में बाघों की संख्या 65 से अधिक बताई गई थी। अनुमान किया जाता है कि इनमें से करीब दो तिहाई संख्या जवान बाघों की है। कुछ ढलती उम्र के बाघ जंगल के बाहर कई बार देखे गए। ऐसे में माना जा रहा है कि नए जवां हुए बाघों ने अपनी टेरेटरी बनाई तो बूढ़े बाघों को जंगल से निकलकर दूसरी जगह ठिकाना ढूंढना पड़ा।
जिले में बाघ संरक्षण की दिशा में काम कर रही संस्था विश्व प्रकृति निधि के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार इस बात की पुष्टि करते हैं कि जंगल में यंग टाइगर सबसे ज्यादा संख्या में हैं। उनका कहना है कि पहले विशेषज्ञों में यह मान्यता रही कि एक बाघ 1200 से 1400 वर्ग किमी में अपनी टेरेटरी बनाता है लेकिन यहां जंगल की स्थिति को देखते हुए बाघों ने टेरेटरी का एरिया घटाया है। वर्तमान में यहां के जंगल में बाघ की टेरेटरी का एरिया 700 से 1000 वर्ग किमी का है।
चिंता की बात, बदल रहा व्यवहार
- बाघों की आबादी का बढ़ना जहां सुखद माना जा रहा है, वहीं चिंता की बात यह है कि बाघ का व्यवहार बदल रहा है। अक्सर बाघ जंगल से निकलकर निकट के गन्ना खेतों में डेरा डाले रहते है। आसान शिकार के चक्कर में बाघ आलसी भी हो रहे हैं। दरअसल यहां उन्हें शिकार आसानी से मिल जाता है। उनका व्यवहार बदल रहा है। सेव इन्वायरमेंट सोसायटी के सचिव टीएच खान ने अपनी टीम के साथ बाघों के स्वभाव पर अध्ययन किया है। उनका कहना है कि गन्ने के खेत के अंदर हमेशा नमी बनी रहती है। इसी कारण बाघ लंबे समय तक वहां अपना डेरा जमा सकता है। क्योंकि जंगल से निकलकर गन्ने के खेत में जंगली सुअर, नीलगाय आदि पहुंचते रहते हैं। इससे बाघ को भोजन आसानी से मिल जाता है।
...ताकि जिंदा रहे टाइगर
बाघों की बढ़ती संख्या के कारण यहां का जंगल छोड़ा पड़ रहा है। शाहजहांपुर के खुटार रेंज के जंगल को टाइगर रिजर्व में शामिल किए जाने के बाद जंगल का कुल क्षेत्रफल लगभग 73 हजार हेक्टेयर हैं। जंगल की कुल लंबाई 60 किमी और चौड़ाई सिर्फ 15 किमी है। उसमें भी कहां-कहीं यह चौड़ाई सिर्फ 4-5 किमी की ही है। जंगल से बाघ के बाहर निकलने का यह भी एक कारण है। जिन इलाकों में जंगल की चौड़ाई कम है, वहां के बाघ जल्दी जल्दी बाहर निकल आते हैं।
बाघ संरक्षण के लिए काम करने वाले सेव इंवायरमेंट सोसायटी के सचिव टी एच खान कहते हैं कि हरीपुर, बराही और दियोरिया रेंज में जंगल की जमीनों पर कब्जे हैं। उन जमीनों को कब्जा मुक्त कराकर पौधारोपण कराना चाहिए, जिससे जंगल का एरिया बढ़ जाएगा। साथ ही बाघों के संरक्षण के लिए जंगल किनारे गन्ने की खेती पर विराम लगे और जंगल में अवैध घुसपैठ को सख्ती से रोका जाए। हालांकि अवैध शिकार पर तो काफी हद तक अंकुश लग चुका है।
फैक्ट फाइल
जंगल का कुल क्षेत्रफल 73024.98 हेक्टेयर
जंगल में कोर एरिया- 60279.80 हेक्टेयर
जंगल में बफर जोन एरिया- 12745.18 हेक्टेयर
जंगल की कुल लंबाई 60 किमी, चौड़ाई 15 किमी
जंगल में पांच रेंज- माला, महोफ, बराही, हरीपुर व दियोरिया
टाइगर रिजर्व की स्थापना- जून 2014