World Food Day : रसायनिक खाद के नुकसान को भांपकर बदला खेती का तरीका, अब उगा रहे सेहत की फसल

यूं तो हर किसान खेती करता है पर उनके तरीके जुदा होते हैं। कोई तकनीक के दम पर अधिक उपज ले रहा तो कोई जैविक खेती के जरिये सेहत की सौगात बांट रहा। जैविक उपज के प्रयोग से जहां लोग पहले की तुलना में अधिक सेहतमंद हो रहे हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 01:05 PM (IST) Updated:Mon, 07 Jun 2021 01:05 PM (IST)
World Food Day : रसायनिक खाद के नुकसान को भांपकर बदला खेती का तरीका, अब उगा रहे सेहत की फसल
स्वस्थ कल के लिए आज का सुरक्षित भोजन।

बरेली, [अंकित शुक्ला]। World Food Day : यूं तो हर किसान खेती करता है, पर उनके तरीके जुदा होते हैं। कोई तकनीक के दम पर अधिक उपज ले रहा तो कोई जैविक खेती के जरिये सेहत की सौगात बांट रहा। जैविक उपज के प्रयोग से जहां लोग पहले की तुलना में अधिक सेहतमंद हो रहे हैं, वहीं किसानों को भी बेहतर आय हो रही है। विश्व खाद्य दिवस पर हम जिले के ऐसे ही कुछ प्रगतिशील किसानों से आपको मिलवाते हैं।

35 सौ किसानों को जोड़ कर रहे जैविक खेती : जैविक खेती के फायदे जानने हैं तो उन्नतशील कृषक निहाल सिंह के बारे में जानिए। 17 साल पहले उन्होंने सिर्फ तीन एकड़ जमीन से जैविक खेती की शुरुआत की थी। वर्तमान में जिले के 35 सौ किसानों को अपने साथ जोड़कर वह पांच हजार हेक्टेयर भूमि पर देसी खाद के जरिए खेती कर रहे हैं। वह बताते हैं कि जैविक उत्पादों की मांग बाजार में सबसे ज्यादा है। फसल तैयार होने से पहले उसके खरीदार तैयार हो जाते हैं। यहां उपजा जैविक मेंथा जर्मनी और यूएसए (अमेरिका) तक भेजा जा रहा है। इसकी बहुत डिमांड है। तुलसी की सूखी पत्ती की भी अमेरिका में खूब मांग है। जैविक खाद से पैदा हुए धान, गेंहू और आलू की सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मांग होती है। कहते हैं कि शुरुआत में रसायनिक खाद की तुलना में जैविक खेती में लागत अधिक पैदावार कम होती है। लेकिन लंबे समय में यही मुनाफे का सौदा होती है।

रसायनिक खाद के नुकसान पढ़कर बदला खेती का तरीका : खेतों में डाली जाने वाली रसायनिक खाद खेतों के लिए कितनी हानिकारक होती है, धीरे-धीरे वह जमीन को बंजर बनाती जा रहीं हैं। ऐसा एक किताब में पढ़ने के बाद नवाबगंज तहसील के गोशलपुर निवासी ज्ञान प्रकाश गंगवार ने पोस्ट ग्रेजुएट होने के बाद हरिद्वार स्थित पतंजलि बायो रिसर्च सेंटर गए, जहां प्रशिक्षण लेने के बाद आज वह कई गांवों में 65 से अधिक किसानों को जैविक खेती के लाभ आदि की जानकारी दे प्रशिक्षण दे चुके हैं। वह किसानों को खेती में होने वाली सभी समस्याओं का निराकरण भी बताते हैं।

स्वाद अलग मिला तो शुरू कर दी जैविक खेती : श्यामपाल सिंह निवासी गोशलपुर बताते हैं कि गेहूं, गन्ना, धान, राई की फसल जैविक पद्धति से की। पहली बार फसल कुछ खास नहीं मिली, लेकिन उसको खाने में इस्तेमाल करने पर 60 प्रतिशत अलग स्वाद मिला। जिसके बाद से बराबर जैविक खेती की ओर रूख कर लिया। जानकारी होने के बाद अब बरेली शहर के लोग स्वयं ही उनसे संपर्क कर खेत से ही उनकी फसल ले जाते हैं। उनके नाम 20 बीघा खेती के अलावा वह अपने भाईयों के खेत में भी जैविक खेती कर रहे हैं। तीन बार जैविक खेती का उन्होंने प्रशिक्षण भी लिया है।

जैविक खेती का लिया प्रशिक्षण : महेंद्र पाल निवासी नवाबगंज के पास चार एकड़ जमीन हैं। दो वर्ष पहले जैविक खेती का प्रशिक्षण लेने के दौरान उन्हें इसके लाभ आदि की जानकारी मिली। तभी से महेंद्र पाल केवल जैविक खेती ही कर रहे हैं। वह अपने खेतों में सरसों, गेहूं, धान की फसल जैविक विधि से कर रहे हैं। महेंद्र बताते हैं कि अब लोग उनसे खुद ही तैयार फसल खेत से लेने के लिए संपर्क करने लगे हैं।

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