कथक गुरु अमृत मिश्रा ने बताया नृत्य एक साधना है जो मन और मस्तिष्क को रखता है दुरुस्त
एसआरएमएस रिद्धिमा मंच एवं ललित कला केन्द्र में विश्व नृत्य दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें सिर्फ संस्थान के गुरुजनों ने शिरकत की।विश्व नृत्य दिवस पर कथक गुरु अमृत मिश्रा ने नृत्य की उत्पत्ति विकास विभाजन और वैश्विक तथा राष्ट्रीय स्तर की नृत्य विधाओं पर प्रकाश डाला।
बरेली, जेएनएन। एसआरएमएस रिद्धिमा मंच एवं ललित कला केन्द्र में विश्व नृत्य दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें सिर्फ संस्थान के गुरुजनों ने शिरकत की।विश्व नृत्य दिवस पर कथक गुरु अमृत मिश्रा ने नृत्य की उत्पत्ति, विकास, विभाजन और वैश्विक तथा राष्ट्रीय स्तर की नृत्य विधाओं पर प्रकाश डाला। बताया कि नृत्य एक ऐसा साधन है जो मन, मस्तिष्क और चेतना को दुरुस्त रखता है तथा मनुष्य के शरीर में सकारात्मक तरंगों का संचरण करता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ शिवांगी मिश्रा द्वारा संस्थान गीत से किया गया। श्रेयसी मुंशी ने राग मारवा, एकताल में दुर्गा स्तुति प्रस्तुत की। अंबाली प्रहराज ने भरतनाट्यम के पारंपरिक तिल्लाना को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के दूसरे हिस्से मेें श्रेयसी मुंशी द्वारा घर मोरे परदेसिया पर श्रृगांरिक प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम का समापन अबाली प्रहराज द्वारा मथुरा नगरपति काहे तुम गोकुल जाओ गीत पर भरतनाट्यम की भावपूर्ण प्रस्तुति से हुआ। इस दौरान सितार पर कुंवरपाल, तबले पर शिवशंभू कपूर और आनन्द, पखावज पर अमृत मिश्रा, हारमोनियम पर जर्नादन एवं मोहित ने संगत दी। संचालन आशीष कुमार ने किया।