Wildlife Organ Trafficking Case: एक्टिव हुए जांच अधिकारी, कोर्ट से मांगी ये अनुमति
श्यामंगज स्थित रामा पंसारी की दुकान में मिले वन्यजीवों के अंगों की जांच के लिए जांच अधिकारी ने न्यायालय से अनुमति मांगी है। जबकि विभाग इसके साथ ही दुकान की सील खोल जांच कराए जाने की भी अनुमति लेने की तैयारी कर रहा है।
बरेली, जेएनएन । श्यामंगज स्थित रामा पंसारी की दुकान में मिले वन्यजीवों के अंगों की जांच के लिए जांच अधिकारी ने न्यायालय से अनुमति मांगी है। जबकि विभाग इसके साथ ही दुकान की सील खोल जांच कराए जाने की भी अनुमति लेने की तैयारी कर रहा है। मामले की जांच प्रभागीय वन अधिकारी भारत लाल ने एसडीओ आरबी सिंह को दी है।
बीते गुरुवार को वन्यजीवों के अंग बरामद होने पर न्यायिक अभिरक्षा में जेल गए श्याम अग्रवाल की पत्नी ने डीएफओ को प्रार्थना पत्र देेते हुए बरामद मॉनिटर लिजर्ड (पटवा गोह) के अंग एवं सियार सिंगी, कुटकी औषधि नकली होने व इसकी जांच कराने की मांग की थी। जिसके बाद जांच अधिकारी ने कोर्ट से अनुमति मांगी है। कोर्ट से अनुमति मिलने पर वन्यजीवों के अंग की जांच को आइवीआरआइ लैब सैंपल भेजे जाएंगे। यदि जांच में नकली पाए जाते हैं, तो श्याम अग्रवाल और उनके दोनों नौकरों को राहत मिल जाएगी।
जबकि इस मामले में वाइल्ड लाइफ इंडिया एंटी पोचिंग संस्था के दीपक कुमार का दावा है कि रामा पंसारी की दुकान से बरामद मॉनिटर लिजार्ड के लिंग और सियार सिंगी, कुटकी औषधि असली हैं। बताया कि पूछताछ में पकड़े गए आरोपितों व दुकान मालिक ने बताया था कि दुकान पर कुछ लोग आकर सामान बेच जाते हैं। जिसकी वह दोबारा बिक्री करते थे। जबकि अन्य कोई जानकारी उन्होंने नहीं दी थी। वहीं विभाग सीबीगंज शिव मार्केट स्थित दीपक स्टेशनरी के यहां से बरामद 42 पेंट ब्रश की जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।
सोमवार को पत्नी न्यायालय से दुकान खोलने को देगी प्रार्थना पत्र
रामा पंसारी की सील दुकान को खोले जाने की अनुमति के लिए उनकी पत्नी सोमवार को न्यायालय में प्रार्थना पत्र देंगी। जांच अधिकारी ने बताया कि यदि न्यायालय अनुमति देती है तो डीएफओ के निर्देशन में दुकान को खोला जाएगा। दुकान की जांच के लिए एक कमेटी गठित की जाएगी।
उत्तराखंड की ओर लगाई गई टीमें विभाग का अनुमान हैं कि जनपद में वन्यजीवों के अंगों की तस्करी व बिक्री के लिए उत्तराखंड से ही पूरा रैकेट चलता है। इसके लिए विभाग ने अपनी एक विशेष टीम बनाकर उसे उत्तराखंड बार्डर पर ही लगाया हैं। इसके साथ ही सभी रेंजरों से अपने सूत्रों को और अधिक मजबूत कर वन्यजीवों के अंगों की बिक्री व तस्करी पर पूरी तरह से नकेल कसने के आदेश दिए गए हैं।