वाइल्ड लाइफ के पदाधिकारी बोले- एक कॉल पर बदल गया गुडवर्क, डीएफओ ने दी ये सफाई

नेवला वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत अनुसूची दो में आता है। जिसका शिकार गैरकानूनी है। बिना मेरी मौजूदगी में कैसे बरामद माल सीज हुआ। संस्था के दीपक ने बताया कि नियम के तहत उनकी मौजदूगी में उनके हस्ताक्षर होने के साथ ही माल सीज होना चाहिए था।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Wed, 23 Sep 2020 09:57 AM (IST) Updated:Wed, 23 Sep 2020 01:55 PM (IST)
वाइल्ड लाइफ के पदाधिकारी बोले- एक कॉल पर बदल गया गुडवर्क, डीएफओ ने दी ये सफाई
वाइल्ड लाइफ के पदाधिकारी बोले- एक कॉल पर बदल गया गुडवर्क

बरेली, जेएनएन। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की अनुसूची दो में आता है नेवला वाइल्ड लाइफ एंटी कोचिंग डिवीजन दिल्ली के दीपक कुमार ने बताया कि उन्हें सटीक सूचना मिली थी। जिसके आधार पर छापेमारी की गई थी। उन्होंने स्वयं कस्मटर बनकर दुकानदार से पेंट ब्रश दिखाने को कहा और ब्रश देखने के बाद उन्होंने पाया कि उनमें नेवले के बाल का इस्तेमाल किया गया है। नेवला वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत अनुसूची दो में आता है। जिसका शिकार गैरकानूनी है। बिना मेरी मौजूदगी में कैसे बरामद माल सीज हुआ।

संस्था के दीपक ने बताया कि नियम के तहत उनकी मौजदूगी में उनके हस्ताक्षर होने के साथ ही माल सीज होना चाहिए था। जैसा कि एक दिन पूर्व किया गया था। किसी के फोन आने के बाद अधिकारियों के रवैया और बोलचाल में अंतर आ गया था। पहले तो विभाग की तैयारी गुडवर्क करने की थी और अचानक से बिना सलाह व पूछताछ के डीएफओ ने मामले को रफादफा कर दिया। कहा कि मुझे तो अब यह भी नहीं मालूम है कि सीज माल बरामद किया हुआ था या डीएफओ व उनके लोगों ने बाद में लाकर उसमें रखा है।

आरोप-प्रत्यारोप के बाद लौटी टीमपकड़े गए धीरेंद्र गंगवार को मुचलके पर छोड़ने की जानकारी के बाद संस्था के दीपक ने दिल्ली व लखनऊ के अधिकारियों को मैसेज कर मामले की जानकारी दी। जबकि कुछ लोगों को फोन करके भी मामले की जानकारी दी। वहीं उन्होंने दिल्ली जाकर मामले की शिकायत केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर से करने व रास्ते में अधिकारियों व मंत्रियों को ट्वीट कर देने की बात कही।

कई करने थे गुडवर्क, अब नहीं रहा भरोसा

संस्था के लोगों ने बताया कि बरेली में वह 10 दिन लगातार कई मामलों का खुलासा करने के लिए आए थे, लेकिन विभाग के अधिकारियों व उनके कर्मचारियों का गलत रवैया देखकर उन्हें अब इस ऑपरेशन को यहां रद्द कर वापस लौट गए। बताया कि सोमवार रात कछुआ तस्कर को भी भगाने में वन विभाग के लोगों का हाथ रहा। वर्ना वह भी पकड़ में आता। इसके अलावा कोबारा का जहर, वन्यजीवों के अंगों की तस्करी करने वाले कई लोगों को पकड़ना था। जिनकी पक्की मुखबरी थी। दिल्ली से आई टीम पर लगाए पैसे लेने का आरोपवन रक्षकों ने डीएफओ पर दिल्ली से आई टीम के पदाधिकारी के प्रति नाराजगी आदि को देखते हुए पहले तो काफी समझाने का प्रयास किया गया। बाद में मामला बनता नहीं दिखने पर उन पर व उनके गार्ड पर रुपये लेकर छोड़े जाने का आरोप लगाया। जबकि दिल्ली की टीम ने खुद वन विभाग के अधिकारियों व उनके लोगों पर सेटिंग करके मामला रफादफा करने का आरोप लगाया गया है।

लगाए गए आरोप सभी निराधार है। हमारा प्रयास है कि छोटी सी जल्दबाजी में कोई निर्दोष जेल न जाए। पेटिंग ब्रश कों जांच के लिए भेजा जा रहा है। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। वन्यजीवों के अंगों आदि की तसक्री व बिक्री किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। - भारत लाल, डीएफओ

वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा जो कुछ भी किया गया पूरी तरह से नियम विरूद्ध है। जिसकी दिल्ली जाकर अधिकारियों व केंद्रीय मंत्री से शिकायत करूंगा। बरेली में अधिकारियों के साथ कोई गुडवर्क करने लायक नहीं हैं। - दीपक, वाइल्ड लाइफ एंटी कोचिंग डिवीजन के पदाधिकारी

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