नशे का आदी क्यों हो जाता है हिंसक, एक्सपर्ट से जानिये दिमाग के किस हिस्से पर नशे का क्या पड़ता है असर

Why drug addicts become violent प्रेमनगर में गंगाशील अस्पताल की चौथी मंजिल से बच्चे को साथ लेकर छलांग लगाकर दीपक ने जान दी। शराब के लती रहे दीपक का पहले भी नशा मुक्ति केंद्र में इलाज चल चुका है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 03:41 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 03:41 PM (IST)
नशे का आदी क्यों हो जाता है हिंसक, एक्सपर्ट से जानिये दिमाग के किस हिस्से पर नशे का क्या पड़ता है असर
एक्यूट एल्कोहलिक हेल्युस्नेशन नशा करने वालों में आत्महत्या की बड़ी वजह है।

बरेली, जेएनएन। Why drug addicts become violent : प्रेमनगर में गंगाशील अस्पताल की चौथी मंजिल से बच्चे को साथ लेकर छलांग लगाकर दीपक ने जान दी। शराब के लती रहे दीपक का पहले भी नशा मुक्ति केंद्र में इलाज चल चुका है। तब कुछ समय के लिए नशा छोड़ा लेकिन दोबारा लत लग गई तो स्वजन ने उसका इलाज गंगाशील अस्पताल में शुरू कराया। बरेली कालेज में मनोविज्ञान विभाग की इंचार्ज डॉ.सुविधा शर्मा बताती हैं कि एक्यूट एल्कोहलिक हेल्युस्नेशन नशा करने वालों में आत्महत्या की बड़ी वजह है।वहीं, इंसानी दिमाग के अगले बाएं हिस्से पर नशे की ललक और न मिलने पर व्यसन करने वाला हिंसक होता है। वहीं, निचले हिस्से से सही निर्णय की क्षमता खत्म या बेहद कम हो जाती है।

मस्तिष्क के किस हिस्से पर क्या-क्या असर : दिमाग का बायांं हिस्सा जहां शराब के अलावा पोस्त, स्मैक, गांजा आदि कोई भी नशा करने की इच्छा उठती है। साथ ही न पूरी होने पर नशे का व्यसनी बेकाबू होने लगता है।नशा न मिलने पर व्यसनी के इस हिस्से पर असर पड़ता है और निर्णय लेने की क्षमता खत्म हो जाती है। दाएं हिस्से में नशे का असर होने पर संवेदनाएं कम या खत्म हो जाती हैं। इससे चोट आदि लगने पर तत्काल असर नहीं होता है।नशा आदि मिलने पर पिछले बाएं हिस्से में आनंद की अनुभूति होती है।

नशा छोड़ने का सीधा फार्मूला : मानसिक चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ.सीपी मल्ल बताते हैं कि शराब या कोई भी नशा अमूमन दस दिन तक भर्ती रहने और समय पर दवा समेत पूरे उपचार के बाद छोड़ा जा सकता है। हालांकि इसके लिए एक फार्मूले पर अमल करना जरूरी होगा।यह फार्मूला है प्रेरणा दृढ़ इच्छाशक्ति दवाई उचित परामर्श परिवार का सहयोग। इन सबके मिश्रण से नशे से मुक्ति का द्वार खुलता है।मनोरोग चिकित्सक बताते हैं कि घरेलू कलह, तनाव, परिवार में किसी का नशा करना, 15 से 25 की उम्र के दौरान दोस्ती, अकेलापन आदि नशे की ओर ले जाते हैं। ऐसे में स्वजन प्रयास करें कि युवाओं को ऐसा वातावरण न मिले। फिर भी अगर नशे की लत लग जाए तो तत्काल सही परामर्शदाता के पास ले जाएं और फिर इलाज कराएं।

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