White Fungus in Bareilly : आंख लाल हो जाएं या उल्टियां होने लगें तो करा लें व्हाइट फंगस की जांच, समझें ब्लैक और व्हाइट फंगस में अंतर

White Fungus in Bareilly कोरोना संक्रमण के दौर में अलग अलग तरह की कई बीमारियां सामने आईं। इनमें ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) ने जहां महामारी का रूप लिया वहीं व्हाइट फंगस (कैनडिडा) के भी जिले में काफी मरीज मिले हैं।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 03:43 PM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 03:43 PM (IST)
White Fungus in Bareilly : आंख लाल हो जाएं या उल्टियां होने लगें तो करा लें व्हाइट फंगस की जांच, समझें ब्लैक और व्हाइट फंगस में अंतर
पोस्ट कोविड और नॉन कोविड मरीजों में मिल रहा व्हाइट फंगस, ब्लैक फंगस से ज्यादा इसके मरीज।

बरेली, [अंकित गुप्ता]। White Fungus in Bareilly : कोरोना संक्रमण के दौर में अलग अलग तरह की कई बीमारियां सामने आईं। इनमें ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) ने जहां महामारी का रूप लिया, वहीं व्हाइट फंगस (कैनडिडा) के भी जिले में काफी मरीज मिले हैं। व्हाइट फंगस के मरीज ब्लैक फंगस के मरीजों की तरह अधिक गंभीर नहीं होते और यह तेजी से नहीं फैलता इसलिए यह अधिक चर्चा में नहीं रहा। इसका इलाज भी ब्लैक फंगस की तरह महंगा नहीं है। यह सामान्य एंटी फंगल दवाओं से ही ठीक हो जाता है।

एसआरएमएस मेडिकल कालेज के वरिष्ठ फिजीशियन और कोविड यूनिट के इंचार्ज डा. एम पी रावल ने बताया कि पोस्ट कोविड मरीजों में सिर्फ ब्लैक फंगस के ही मरीज नहीं हैं। एक बड़ी संख्या व्हाइट फंगस (कैनडिडा) के मरीजों की भी है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण से ठीक हो चुके मरीज जो लंबे समय तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहे या जिन मरीजों को स्टेरायड दिया गया, उनमें व्हाइट फंगस काफी मिल रहा है।

एसआरएमएस के माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट डा. राहुल गोयल ने बताया कि इसकी जल्द पहचान कर इसका तुरंत इलाज किया जा सकता है। अगर जल्द इलाज शुरू हो जाए तो मरीज को खतरा नहीं रहता है। लेकिन अगर इसे समझने में दे र हो जाए और यह हमारे शरीर के अलग अलग हिस्सों या खून में फैल जाए तो यह खतरनाक हो जाती है। उदाहरण के रूप में बताया कि ब्लैक फंगस का एक मरीज मिल रहा है तो व्हाइट फंगस के पांच मरीज सामने आ रहे हैं।

बताया कि इसके मरीजों में नाक में पपड़ी जमना, पेट में फंगस होने से उल्टियां आने लगती हैं। अगर ज्वाइंट पर इसका असर हो तो जोड़ों में दर्द होने लगता है। इसके अलावा शरीर में छोटे छोटे दाने या कहें फोड़े होने लगते हैं। यूरिन में फंगस होने पर जलन होना, बार बार यूरिन आने लगती है।

ब्लैक फंगस और व्हाइट फंगस में अंतर : माइक्रोबायोलॉजिस्ट डा. राहुल गोयल बताते हैं व्हाइट फंगस को कैनडिडा भी कहते हैं। इसका इलाज म्यूकर माइकोसिस की तरह महंगा नहीं है। इसमें सामान्य एंटी फंगल दवाओं का उपयोग किया जाता है, जो ज्यादा महंगी नहीं होती है। जबकि म्यूकर माइकोसिस यानि ब्लैक फंगस पर एंफोटेरेसिन बी और पोसाकोनाजोल दवाएं ही इस्तेमाल होती हैं, जो काफी महंगी होती हैं। व्हाइट फंगस धीरे धीरे कर फैलता है। व्हाइट फंगस में एक टॉक्सिन बनता है जो शरीर में धीरे धीरे कर शरीर को नुकसान पहुंचाता है। जबकि ब्लैक फंगस बहुत तेजी से फैलता है और तीन दिनों में ही असर दिखाना शुरू कर देता है।

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