Vijyadashmi 2021 : जानिए शक्ति, मर्यादा, धर्म निष्ठा के प्रतीक पर्व विजयादशमी पर पूजा के विशेष मुहूर्त

Vijyadashmi 2021 अश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमी को विजयादशमी पर्व मनाया जाता है। इस बार विजयादशमी का पावन पर्व 15 अक्टूबर शुक्रवार को मनाया जाएगा। यह पर्व शरदीय नवरात्र के 10 वें दिन पड़ता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 12:52 PM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 12:52 PM (IST)
Vijyadashmi 2021 : जानिए शक्ति, मर्यादा, धर्म निष्ठा के प्रतीक पर्व विजयादशमी पर पूजा के विशेष मुहूर्त
Vijyadashmi 2021 : जानिए शक्ति, मर्यादा, धर्म निष्ठा के प्रतीक पर्व विजयादशमी पर पूजा के विशेष मुहूर्त

बरेली, जेएनएन। Vijyadashmi 2021 : अश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमी को विजयादशमी पर्व मनाया जाता है। इस बार विजयादशमी का पावन पर्व 15 अक्टूबर शुक्रवार को मनाया जाएगा। यह पर्व शरदीय नवरात्र के 10 वें दिन पड़ता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के पर्व के तौर पर मनाया जाता है। आचार्य मुकेश मिश्रा बताते हैं कि विजयादशमी के दिन ही शस्त्र पूजा करने का विधान भी है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन शस्त्र पूजा की भी मान्यता है। ऐसी मान्यता है कि शस्त्रों की पूजा करने से मां भगवती की कृपा से शक्ति, ऊर्जा, बल सरलता से प्राप्त होता है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था, तो मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार। तब से लेकर अब तक हर वर्ष बुराई के तौर पर रावण का पुतला जलाया जाता है।

विजयादशमी का इतिहास

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीराम चरित मानस के अनुसार, लंकापति रावण ने वनवास के दौरान भगवान श्रीराम की पत्नी सीता का अपहरण कर लिया था। वह उन्हें अपने राज्य लंका ले गया और बंदी बनाकर रखा। भगवान राम ने लक्ष्मण जी के साथ सीता जी की खोज शुरू की। रास्ते में उन्हें जटायु ने बताया कि रावण सीता जी का हरण करके लंका ले गया है। इसके बाद श्रीराम को बजरंगबली हनुमान, जामवंत, सुग्रीव और तमाम वानर मिले। इन सबको मिलाकर उन्होंने एक सेना बनाई। जिसके साथ रावण से युद्ध किया। दस सिर वाले दशानन कहे जाने वाले राक्षस रावण को युद्ध के दसवें दिन मार दिया। तब से दशमी को विजयादशमी के तौर पर मनाया जाता है। देश भर में 10 सिर वाले रावण का पुतला दहन किया जाता है।

महिषासुर का वध

रावण दहन के अलावा इसी दिन देवी दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध भी किया था। दुर्गा सप्तशती में मां दुर्गा और महिषासुर के वध की कथा बताई गई है। मां दुर्गा ने आश्विन शुक्ल की दशमी तिथि को महिषासुर का वध किया था।इसके बाद सभी देवताओं ने मां दुर्गा की विजय पर उनकी पूजा अर्चना की थी। इसलिए इस तिथि को विजयादशमी कहते हैं।

शक्ति और मर्यादा का प्रतीक

चूंकि दशहरा के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया और श्रीराम ने रावण पर जीत हासिल की इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व मानते हैं। श्रीराम मर्यादा और आदर्श के प्रतीक हैं, तो वहीं मां दुर्गा शक्ति का प्रतीक हैं इस पर्व से लोगों को शक्ति के साथ मर्यादित, धर्मनिष्ठ और उच्च आदर्शों के साथ जीवन जीने की सीख मिलती है।

विजयादशमी मुहूर्त

दशमी तिथि 14 अक्टूबर 2021 को शाम 6:52 बजे शुरू होगी और 15 अक्टूबर को शाम 6:02 बजे समाप्त होगी। इस साल विजय मुहूर्त दोपहर 2:02 बजे शुरू होगा और दोपहर 2:48 बजे तक चलेगा। वहीं अपर्णा पूजा का मुहूर्त दोपहर 1:16 बजे शुरू होगा और दोपहर 3:34 बजे समाप्त होगा। 

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