Vat Savitri 2021 : बरेली में महिलाओं ने बारिश के बीच हरियाली की पूजा कर मांगी सुहाग की लाली
Vat Savitri 2021 नाथ नगरी में गुरुवार को वट सावित्री का पर्व धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा कर पतियों के दीर्घायु की कामना की। महिलाओं ने व्रत रख भगवान विष्णु की विधिविधान से पूजा-अर्चना कर सौभाग्यवती होने का उनसे आशीर्वाद मांगा।
बरेली, जेएनएन। Vat Savitri 2021 : नाथ नगरी में गुरुवार को वट सावित्री का पर्व धूमधाम से मनाया गया। महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा कर पतियों के दीर्घायु की कामना की। शहर व कस्बे के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में महिलाओं ने व्रत रख भगवान विष्णु की विधिविधान से पूजा-अर्चना कर सौभाग्यवती होने का उनसे आशीर्वाद मांगा। घरों में पकवान बनाने के बाद वट वृक्ष के नीचे पहुंच महिलाओं ने पूजा-अर्चना शुरू की। अक्षत रोली से तिलक करने के बाद महिलाओं ने पंचामृत से भगवान विष्णु का पूजन वंदन किया। वट वृक्ष में धागा लपेटते हुए महिलाओं ने अखंड सौभाग्य की कामना कर व्रत रखा। महिलाओं ने वट वृक्ष की परिक्रमा कर विधिविधान से पूजन वंदन किया।
आचार्य मुकेश मिश्रा बताते हैं कि पौराणिक मान्यता के अनुसार सावित्री अपने अल्पायु पति सत्यवान की मृत्यु के बाद यमराज के पीछे पीछे गई थीं। यमराज के द्वारा पूछे गए प्रश्नों का सटीक जवाब देकर उनसे पति के दीर्घायु होने का आशीर्वाद ले लिया था। वट वृक्ष के नीचे ही यमराज ने सत्यावान के प्राण वापस किए थे। इसी दिन से वट सावित्री पूजन की परंपरा पड़ी है। हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए वट सावित्री व्रत बेहद खास और महत्वपूर्ण होता है, इसे सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है।
यह है वटवृक्ष की पूजा का महत्व : हिंदू शास्त्रों के अनुसार वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में शिव का वास माना गया है। वट वृक्ष यानी बरगद का पेड़ देव वृक्ष माना जाता है। देवी सावित्री भी इस वृक्ष में निवास करती हैं। मान्यताओं के अनुसार, वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति को पुन: जीवित किया था, तब से ये व्रत वट सावित्री के नाम से जाना जाता है। इस दिन विवाहित स्त्रियां अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए वटवृक्ष की पूजा करती हैं। वृक्ष की परिक्रमा करते समय इस पर 108 बार कच्चा सूत लपेटा जाता है।