इको फ्रेंडली बरगद के पेड़ पर खास पक्षियों का होता है वास, जानिये इन खास पक्षियों के नाम

Vat Savitri 2021 इको फ्रेंडली बरगद पर खास पक्षियों का प्राकृतिक वास होता है। जो उनके लिए नेचुरल हैबिट भी बना हुआ था। लेकिन धीरे-धीरे बरगद के कम होने से इन पक्षियों के ठिकाने भी बदल गये। जिसके चलते इनका प्राकृतिक वास छिनता जा रहा है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Wed, 09 Jun 2021 03:44 PM (IST) Updated:Wed, 09 Jun 2021 03:44 PM (IST)
इको फ्रेंडली बरगद के पेड़ पर खास पक्षियों का होता है वास, जानिये इन खास पक्षियों के नाम
प्राकृतिक वास खत्म होने से ब्रीडिंग कम हो गयी है।

बरेली, जेएनएन। Vat Savitri 2021 : इको फ्रेंडली बरगद पर खास पक्षियों का प्राकृतिक वास होता है। जो उनके लिए नेचुरल हैबिट भी बना हुआ था। लेकिन धीरे-धीरे बरगद के कम होने से इन पक्षियों के ठिकाने भी बदल गये। जिसके चलते इनका प्राकृतिक वास छिनता जा रहा है। इन पक्षियों की संख्या भी कम होती जा रही है। जैसे गिद्ध, चमगादड़, चील, उल्लू लगभग विलुप्त होने के कगार है। क्योंकि प्राकृतिक वास खत्म होने से ब्रीडिंग कम हो गयी है। जिसके चलते कुछ खास पक्षी जो हमारी प्रकृति के संरक्षक माने जाते हैं। वो खत्म होने के कगार पर हैंं। प्रकृति का संतुलन बना रहे इसके लिए विशेषज्ञों का कहना है कि बरगद सहित फाइकस श्रेणी के पौधों का रोपण करना बेहद जरूरी है।

बरेली में शांति नगर की नंदा अग्रवाल का कहना है कि दैनिक जागरण अखबार की यह बेहतर पहल है। इसके लिए दिल से साधुवाद करते हैं। कोरोना काल में लोगों को आक्सीजन को लेकर कितनी किल्लत हुई। अब संभलने का वक्त आ गया है। वट सावित्री व्रत वाले दिन बरगद के पौधे का रोपण कर उसके सरंक्षण का भी संकल्प लेंगे।चाहबाई की रहने वालींं रुचि पुंडीर ने बताया कि वट सावित्री का व्रत हमेशा करते आए हैं। लेकिन अभी तक बरगद का पौधा नहीं रोपा है। इस बार व्रत वाले दिन बरगद का पौधा रोपने का संकल्प लिया है। कोरोना के हालात किसी से छिपे नहीं है। किस तरह से लोग आक्सीजन के लिए परेशान रहे। अब इसकी भरपाई पौधा रोपण से ही हो सकती है।

प्रियंका अग्रवाल कहती हैं कि कोरोना काल में मैं और मेरे पति दोनों ही कोविड पॉजीटिव हो गये थे। हमें आक्सीजन की भी जरुरत पड़ी। पर्यावरण संरक्षण कितना जरुरी है। इस परिस्थिति ने हमें सिखाया है। वट सावित्री व्रत वाले दिन हम एक पौधे का रोपण जरुर करेंगे। ऐसा हमने संकल्प लिया है।आलम सिटी की रहने वालीं वंदिता शर्मा का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए अब पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने का समय आ गया है। कोरोना की दूसरी लहर में आक्सीजन को लेकर जो हालात हुए, उसमें कहीं न कहीं हम लोग भी दोषी हैं। अब ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करने की आवश्यकता है।

विशेषज्ञों की राय : प्रो. राजीव का कहना है कि शोध की मानें तो बरगद इकोफ्रेंडली होने के साथ-साथ भारत सहित विदेशी पक्षियों का भी वास है। जो बरगद की विभिन्न प्रजातियों के वृक्षों पर रहते हैं। इनका प्राकृतिक वास होने के कारण ब्रीडिंग भी यही होती है। जिसके चलते इनका कुनबा बढ़ता है। इसी क्रम में ज्यादातर पक्षियों का भोजन भी बरगद का फल होता है। ये फल को खाते थे और जाकर बीट करते थे। जिसके चलते बरगद के पौधे कहीं पर भी उगते थे। लोग उन्हें धार्मिक मानते हुए काटते नहीं थे। लेकिन अब यह पेड़ कम होने की वजह से पक्षी कहीं दूसरी जगह अपना प्रवास तो बना लेते हैं। लेकिन उनके अनुकूल न होने के कारण न तो वहां ब्रीडिंग कर पाते हैं। न ही ज्यादा समय तक रह पाते हैंं। समाज का सफाई कर्मी कहे जाने वाला गिद्ध विलुप्त हो गया।

इन पक्षियों पर भी है खतरा : राष्ट्रीय पक्षी मोर, सारस, हंस, जंगली मैना, लाल बुलबुल, जंगली कौवा, सफेद गले के किंगफिशर उल्लू इनका प्राकृतिक वास भी बरगद ही है।

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