UP Agriculture News: प्लास्टिक चावल नहीं ये फोर्टिफाइड राइस है, जानिए क्या हाेती है खासियत
UP Agriculture News सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बांटे गए चावल को लेकर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। उसका कहना हैै कि राशन की दुकानों से दिया गया चावल प्लास्टिक का नहीं था। बल्कि फोर्टिफाइड राइस था। जोकि सुरक्षित और पौष्टिक है।
बरेली, अभिषेक जय मिश्रा। UP Agriculture News: सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत लोगों के घरों तक पहुंचे मोटे आकार के चावल को प्लास्टिक से निर्मित बताया गया। बरेली समेत पूरे प्रदेश से शिकायतों का सिलसिला शुरू हो गया। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने स्पष्ट किया राशन की दुकानों से दिया गया चावल प्लास्टिक का नहीं था। बल्कि फोर्टिफाइड राइस था। जोकि सुरक्षित और पाैष्टिक है।
भारत में भोजन की थाली चावल बिना अधूरी समझी जाती है। विश्व में कुल उत्पादित होने वाले चावल में 22 फीसद भारत की हिस्सेदारी है। रोजमर्रा में 65 फीसद उत्पादित चावल का हमारी जनसंख्या उपभोग करती है। इन तथ्यों के बीच सर्वाधिक कैलोरी देने वाले चावल की पोष्टिकता पर सवाल उठते रहे है। क्योंकि राइस मिल में पॉलिसिंग के दौरान बी-1, विटामिन, बी-6, विटामिन ई, विटामिन बी-3 जैसे जरूरी तत्व चावल में नहीं रह जाते हैं।
भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने इस मर्म को समझने के बाद चावल में माइक्रो न्यूट्रिएंट्स बढ़ाने पर जोर दिया। 15 अगस्त 2021 के अवसर पर देश संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के तहत फोर्टिफाइड राइस के वितरण का ऐलान किया था। उन्होंने 2024 तक सौ फीसद वितरण करने का लक्ष्य रखा। इसके बाद समन्वित बाल विकास योजना, मध्याह्न भोजन योजना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत दिये जाने वाले सामान्य चावल की जगह अब फोर्टिफाइड राइस ही दिया जा रहा है।
एफ-प्लस मार्का से होती है इसकी पहचान
भारतीय खाद्य निगम फोर्टिफाइड राइस के लिए फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडियो से प्रमाणित कंपनियों को टेंडर देती है। वर्तमान में चावल में एक फीसद फोर्टिफाइड राइस मिलाया जाता है। उदाहरण के लिए 50 किलो में आधा किलो फोर्टिफाइड राइस होना चाहिए। इसकी पहचान के लिए राइस मिल बोरे पर एफ-प्लस का मार्का भी लगाती है।
जानिए कैसे माइक्रो न्यूट्रिएंट्स दोबारा चावल में पहुंचाए जाते है..
फोर्टिफिकेशन के जरिये माइक्रो न्यूट्रिएंट्स दोबारा पाने के लिए पूरी प्रक्रिया की जाती है। अधिकारियों के मुताबिक सामान्य चावल को उबालकर गूथ लिया जाता है। इसके बाद बी-1, विटामिन, बी-6, विटामिन ई, विटामिन बी-3, आइरन, फोलिक एसिड, विटामिन बी-12 और विटामिन ए इसमें मिश्रित किया जाता है। फिर दोबारा चावल के दाने की शक्ल में ढाला जाता है। इसलिए इस चावल का आकार थोड़ा मोटा होता है। लेकिन दावा है कि कूपोषण के खिलाफ यही चावल कारगर है।
लोगाें का भ्रम दूर किया जा रहा है..
वर्तमान में मध्याह्न भोजन योजना और सार्वजनिक वितरण प्रणाली में फोर्टिफाइड राइस ही वितरण हो रहा है। अफवाह फैली थी कि ये प्लास्टिक का चावल है। लेकिन लोगों को सही जानकारी देकर भ्रम को दूर किया जा रहा है। यह पौष्टिकता को खुद में समेटे हुए हैं। - नीरज सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी, बरेली