Unlock-1 Environment : ग्रामीणों को पर्यावरण से जोडने के लिए आरएसएस के इस कार्यकर्ता ने अपनाया ये तरीका Bareilly News
किसानों के जरिए फलदार पौधों को लगाने का संकल्प शुरू होता है। जरिया होते हैैं किसान और लक्ष्य होता है पर्यावरण संरक्षण।
बरेली, जेएनएन। खेतों की मेड़ पर लगे पेड़ काट दिए गए, क्योंकि फसल की जगह घेर लेते थे। बाग नहीं बचे, क्योंकि फलों से बहुत बचत नहीं होती। गन्ना फायदे का सौदा है। इस सोच के साथ किसान पर्यावरण से दूर होते चले गए। अपने हाथों से बाग उजाड़ दिए।
शहर के महानगर इलाके में रहने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता समीर मोहन ने इन ग्रामीणों को दोबारा पर्यावरण के करीब लाने की जुगत की। करीब छह साल पहले खुशहाली फाउंडेशन बनाया और किसानों के साथ मिलकर अब तक करीब आठ लाख पौधे लगाए। मानसून से पहले जून के दूसरे पखवाड़े में प्रतिवर्ष किसानों के जरिए फलदार पौधों को लगाने का संकल्प शुरू होता है। जरिया होते हैैं किसान और लक्ष्य होता है पर्यावरण संरक्षण।
हर साल किसानों को निश्शुल्क पौधे वितरण होता है। संस्था के सदस्य तय दिन गांव में पहुंचकर अपने सामने किसानों से पौधे लगवाते हैं। समीर मोहन कहते हैं कि हर साल की तरह बार भी संकल्प रहेगा कि किसान पौधों की ठीक उसी तरह देखरेख करें, जिस तरह गेहूं, धान या गन्ने की फसल की करते हैं। जैसे चौपाल पर चारपाई की फिक्र करते हैं, वैसे वहां पेड़ की छांव होने की फिक्र भी करें।
बच्चों को पर्यावरण प्रहरी बना रहीं सविता
शाहजहांपुर में रोजा की रेलवे कॉलोनी निवासी सविता वर्मा प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका हैं। स्कूल में छात्रों को विषय के ज्ञान के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना भी उनकी दिनचर्या का अभिन्न अंग है। उन्होंने ग्रामीणों को पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक करने के मकसद से बच्चों की टोली बनाई है। छात्र-छात्राओं की यह टोली गांवों में लोगों को हरीतिमा बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करती है। उन्हें पेड़-पौधों का महत्व समझाती है। पूर्व में जिलाधिकारी रहे अमृत त्रिपाठी भी शिक्षिका सविता के इस प्रयास की सराहना कर चुके हैं।
सविता व उनकी टीम रौसर, नवादा इंदेपुर, ताहवरगंज, मिश्रीपुर के अलावा तिलहर व पुवायां क्षेत्र के भी कई गांवों में ग्रामीणों को निश्शुल्क पौधे भेंट कर चुकी हैं। तीन महीने में एक बार सभी पौधों की देखरेख करने भी जाते हैं। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूक करते हैं।
सविता पर्यावरण प्रहरी के रूप में सभी स्कूलों के बच्चों को मुहिम से जोडऩा चाहती हैं। लॉकडाउन की वजह से इस बार छात्र-छात्राएं ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं पहुंच पा रहे है। ऐसे में सविता ने एक वाट््सएप ग्रुप बनाया है। ताकि बच्चे अभिभावकों के साथ पौधे लगाकर वीडियो भेजें। उनका कहना है कि यह क्रम आगे भी अनवरत जारी रहेगा।
आठ लाख पौधे लगा चुके, अभी मंजिल दूर
खुशहाली फाउंडेशन की तरफ से बरेली समेत आस-पास के जिलों में आठ लाख फलदार प्रजाति के पौधे लगवाए गए। पिछले साल मानसून से पहले 60 हजार कटहल, लीची, अमरुद, फालसा, आंवला जैसे फलदार पौधों का वितरण करीब छह हजार किसानों को किया गया।