बरेली में अंडरग्राउंड हुए सूदखोराें ने बदला ट्र्रेंड, एजेंटाें के जरिए कर रहे ब्याज और वसूली का कारोबार
शाहजहांपुर और बरेली में सूदखोरों के रैकेट में फंसे लोगों की खुदकुशी के बाद शासन तक खलबली मची। कैबिनेट मंत्री से लेकर अधिकारियों ने सूदखोरों पर शराब और खनन माफिया की तरह कार्रवाई के निर्देश दिए तो बरेली के दर्जनों बड़े सूदखोर अंडरग्राउंड हो गए।
बरेली, जेएनएन। शाहजहांपुर और बरेली में सूदखोरों के रैकेट में फंसे लोगों की खुदकुशी के बाद शासन तक खलबली मची। कैबिनेट मंत्री से लेकर अधिकारियों ने सूदखोरों पर शराब और खनन माफिया की तरह कार्रवाई के निर्देश दिए तो बरेली के दर्जनों बड़े सूदखोर अंडरग्राउंड हो गए। एजेंटों के जरिये ही ब्याजी और वसूली के कारोबार को चला रहे है। रविवार को जागरण की पड़ताल में सूदखोरों से संपर्क साधा गया तो उसने बहुत सफाई से अपने एजेंट के नंबर थमा दिए। ज्यादातर सूदखोरों ने एजेंटों के जरिए व्यवसाय कर रहे हैं। तफ्तीश में सामने आया कि ब्याज पर रुपया पूरे शहर में कही भी और किसी को भी दिलाया जाए। उसके तार बिहारीपुर, सुभाषनगर, डेलापीर,जोगीनवादा, शहदाना, बड़ा बाजार, कोहाड़ापीर, जगतपुर, साहूकारा और प्रेमनगर के बड़े सूदखोरों से जुड़ते हैं।
दैनिक जागरण ने पड़ताल के तहत सूदखोर को फोन किया। ब्याज पर रकम की बात की गई तो सूदखोर ने साफ कहा कि भाई साहब, रिकार्डिंग का समय है। हम आपको जानते नहीं हैं। ऐसा करिए हम आपको एक फोन नंबर दे रहे हैं, उस नंबर पर बात कर लीजिए। इसके बाद सूदखोर द्वारा दिए गए एजेंट के नंबर पर फोन किया गया। एजेंट ने भी तत्काल मिलकर पूरी बात करने की बात कही। यह पूछा कि यह तो बता दीजिए कि कितने फीसद तक ब्याज देना पड़ेगा।
इस पर कहा कि यह तो रकम के हिसाब से तय होगा। अलग-अलग रकम के रेट अलग हैं। दस फीसद से लेकर 27 प्रतिशत तक काम चलता है। आगे बात पर कहा कि मिलिए, आपको पूरी जानकारी दे देते हैं। इसके बाद बताई गई तय जगह पहुंचकर जब एजेंट को फोन किया गया तो एजेंट का नंबर ही बंद गया। साफ है कि सूदखोरों ने अपने एजेंटों के जरिए कारोबार को फैला रखा है।
ब्याज न देने पर एक साल में राशि मूलधन में तब्दील हो जाती है राशि
सूदखोरों से कर्ज लेने वाला व्यक्ति यूं ही नहीं कर्ज तले दब जाता है। सूदखोर जो भी राशि कर्जदार को देते हैं उसका हर माह ब्याज वसूलते हैं। एडवांस ब्याज पहले ही काट ली जाती है। यदि कोई भी कर्जदार समय से ब्याज अदा नहीं कर पाता है तो ब्याज की राशि भी साल के अंत में मूलधन में जुड़ जाती है। मतलब यह है कि सूदखोर कर्जदार से चक्रवृद्धि ब्याज वसूलने लगता है। यही से कर्जदार पूरी तरह टूट जाता है और वह गलत कदम उठा लेता है।
मध्यस्त के जरिए ही मिलती है रकम
सूदखोर किसी भी व्यक्ति को सीधे ब्याज की रकम नहीं देते। मध्यस्त के जरिए ही वह कर्जदार लेने वाले व्यक्ति से मिलते हैं। मध्यस्त भी सूदखोरों का करीबी होता है। वर्तमान में सूदखोरों के खिलाफ बने माहौल पर मध्यस्त भी सूदखोरी के काम से दूर-दूर तक नाता न होने की बात कह रहे हैं।
रेंज के सभी पुलिस कप्तानों को सूदखोरों को चिहि्नत कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए है। चिन्हीकरण की कार्रवाई के बाद सूदखोरों पर शिकंजा कसा जाएगा।- रमित शर्मा, आइजी