इंदौर, हैदराबाद की तरह पेड़ों को किया जा सकता है शिफ्ट

हैदराबाद-विजयवाड़ा में वर्ष 2009 में सड़क चौड़ीकरण को सैकड़ों पेड़ों को गिराने के बाद हैदराबाद के ही रामचंद्र अप्पारी ने पेड़ों को बचाने को काम शुरू किया। उन्होंने ग्रीन मार्निंग हार्टिकल्चर सर्विसेज कंपनी खोली और ऑस्ट्रेलियन तकनीक पर पेड़ों को शिफ्ट करना शुरू कर दिया।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 07:57 AM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 07:57 AM (IST)
इंदौर, हैदराबाद की तरह पेड़ों को किया जा सकता है शिफ्ट
इंदौर, हैदराबाद की तरह पेड़ों को किया जा सकता है शिफ्ट

बरेली, जेएनएन। हैदराबाद-विजयवाड़ा में वर्ष 2009 में सड़क चौड़ीकरण को सैकड़ों पेड़ों को गिराने के बाद हैदराबाद के ही रामचंद्र अप्पारी ने पेड़ों को बचाने को काम शुरू किया। उन्होंने ग्रीन मार्निंग हार्टिकल्चर सर्विसेज कंपनी खोली और ऑस्ट्रेलियन तकनीक पर पेड़ों को शिफ्ट करना शुरू कर दिया। शहर को भी रामचंद्र की तरह सोच और तकनीक की जरूरत है। फिर यहां भी किसी पेड़ को काटने की नौबत नहीं आएगी। अगर प्रयास किया जाए तो कैंट क्षेत्र के वर्षों पुराने पेड़ों को कटने से बचाया जा सकेगा। इससे हरियाली भी बदस्तूर रहेगी और कइयों को जीवन भी मिलेगा। अधिकारी चाहे तो इन वर्षों पुराने पेड़ों का अस्तित्व बचा सकते हैं। जरूरत बस यह जानने और समझने की है कि पेड़ों से ही मनुष्य समेत सभी प्राणियों का भी अस्तित्व बना है।

इंदौर समेत कई शहरों में शिफ्ट किए जा रहे पेड़

देश में स्मार्ट शहर में पहले स्थान पर रहने वाले इंदौर शहर में भी पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया जा रहा है। इसी कारण वहां हरियाली कम नहीं हुई है। सड़कों के चौड़ीकरण में तमाम पेड़ों को वहां से हटाकर दूसरे जगह लगा दिया गया। इसके अलावा हैदराबाद, गुजरात, बंगलूरू, पुणे, मुंबई समेत देश के तमाम अन्य शहरों में भी पेड़ों को शिफ्ट करने की व्यवस्था शुरू की जा चुकी है। स्मार्ट सिटी समेत अन्य प्रोजेक्ट में इस तकनीक से काम कराया जा सकता है। 

स्थाई प्रजाति के पेड़ वर्षों तक देते लाभ 

पर्यावरणविद डॉ. आलोक खरे ने बताया कि स्थायी प्रजाति के पेड़ जैसे पीपल, पाकड़, बरगद, गूलर, नीम आदि इनका जीवन काल काफी लंबा होता है। इस कारण इनमें पर्यावरण को सुधारने के बेहतर क्षमता होती है। इन पेड़ों पर ही अन्य जीव-जंतुओं का बसेरा भी होता है। यह अधिक मात्रा में भू-जल का संचय भी करते हैं। अगर इनमें से दस पेड़ भी लगा दिए जाए तो पर्यावरण का काफी लाभ होगा। लंबे समय से लगे पेड़ों को काटकर नए पेड़ लगाने से कोई लाभ नहीं।

वन विभाग लगा रहा विदेशी प्रजाति के पेड़ 

डॉ. खरे ने बताया कि जहां भी सड़कों के चौड़ीकरण के बाद वन विभाग पेड़ लगा रहा है, वे पेड़ विदेशी प्रजाति के हैं। सड़कों के किनारे यूकेलिप्टिस, पॉपुलर, गुलमोहर, अमलतास आदि के पेड़ लगा रहे हैं। यह पेड़ जल्दी बढ़ते हैं, फूल भी आता है, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं चल पाते। इनका जीवन 20 से 25 साल का होता है। इन पेड़ों में चिड़िया तक घोंसला नहीं बनाती। यह दूसरे जीवों को आसरा नहीं देते। भू-जल का संचय भी बहुत कम होता है।

पेड़ों को बचाने की मुहिम में जुड़ने लगे लोग 

लालफाटक पुल की सर्विस रोड बनाने के लिए 44 पेड़ों पर खतरा मंडराने के बाद उन्हें बचाने को जागरण ने मुहिम शुरू की है। इस मुहिम से शहरवासी जुड़ रहे हैं। बुधवार को शहर के कई लोगों ने इस मुहिम को सराहा। उन्होंने पेड़ों का अस्तित्व बचाए रखने के लिए उन्हें शिफ्ट करने वाली तकनीक का यहां भी इस्तेमाल किए जाने को कहा। बोले, अब देश के कई शहरों में पुराने पेड़ों को एक जगह से उखाड़कर दूसरी जगह लगाने की तकनीक आ गई है। उसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

यह है मामला 

लालफाटक ओवरब्रिज बनाने के लिए कैंट की ओर सेतु निगम के पहले सर्विस रोड बनानी है, ताकि वहां वाहनों का आवागमन आसानी हो हो सके। सड़क किनारे दोनों ओर साढ़े पांच मीटर चौड़ी सर्विस रोड बननी है। उस स्थान पर आम, सागौन के 44 पेड़ लगे हुए हैं। इन पेड़ों को हटाने के लिए सेतु निगम ने रक्षा संपदा अधिकारी को पत्र भेजा है।

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