बरेली में 0.01 फीसद वन क्षेत्र होने पर भी काटे जा रहे पेड़

बरेली, जेएनएन: कुछ दिन पहले शहर आए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के उप निदेशक डा. डीके

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 05:19 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 05:19 AM (IST)
बरेली में 0.01 फीसद वन क्षेत्र होने पर भी काटे जा रहे पेड़
बरेली में 0.01 फीसद वन क्षेत्र होने पर भी काटे जा रहे पेड़

बरेली, जेएनएन: कुछ दिन पहले शहर आए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के उप निदेशक डा. डीके सोनी ने जिले में वन क्षेत्र 0.01 फीसद होने पर हैरानी जताई थी। इसके बावजूद 789 हरे पेड़ों को काटे जाने की अनुमति दे दी गई, जबकि डीएम नितीश कुमार सभी विभागों को पहले ही योजनाओं के नाम पर पेड़ों को काटने के बजाए उन्हें ट्रांसलोकेट करने के निर्देश जारी कर चुके हैं।

इज्जतनगर में केंद्रीय कारागार की भूमि पर बस अड्डा बनाने के लिए काटे जा रहे हरे पेड़ों से खिन्न होकर जागर संस्था के सचिव व बरेली कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रदीप कुमार ने ये सवाल उठाए हैं। इस बाबत उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ट्वीट कर अविलंब पेड़ों की कटान रोककर उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट कराए जाने की मांग की है। डा. प्रदीप ने बताया कि इस मामले को लेकर वह गुरुवार को डीएम से मुलाकात करेंगे।

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ये कामर्शियल उद्देश्य से लगे पेड़ हैं। पेड़ों को बचाने के लिए डिजाइन में बदलाव भी किया जा चुका है।

- नितीश कुमार, डीएम

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सागौन का एक पेड़ प्रतिदिन देता करीब 250 लीटर आक्सीजन

बरेली, जेएनएन: केंद्रीय कारागार की भूमि पर अधिकतम पेड़ सागौन के हैं। उनकी उम्र करीब दस से 15 वर्ष के बीच होगी। पर्यावरणविद डा. आलोक खरे ने बताया कि सागौन का एक पेड़ जिसकी उम्र करीब दस से 15 वर्ष के बीच हो, वह एक दिन में करीब ढाई सौ लीटर आक्सीजन देता है। वही, एक स्वस्थ मनुष्य को पूरे दिन में करीब पांच सौ लीटर आक्सीजन की जरूरत पड़ती है। यानी सागौन के दो पेड़ एक मनुष्य को भरपूर सांसें दे सकते हैं। इस तरह वहां लगे 789 पेड़ करीब चार सौ लोगों को आक्सीजन देते हैं। डा. आलोक खरे ने बताया कि सागौन, यूकेलिप्टस, पापुलर जैसे पेड़ एग्रो फारेस्ट्री प्रोग्राम के तहत कैश क्राप में आते हैं। इसलिए सरकारी भूमियों पर अक्सर इन्हें लगा दिया जाता है। अगर ये पेड़ 25 साल से अधिक समय से हैं, तभी यह इमारती लकड़ी के लिए काम आ सकते हैं। इस कारण इन्हें अभी काटना बेकार है। चूंकि यह आक्सीजन का बड़ा जरिया हैं, इसलिए कोशिश की जानी चाहिए कि अधिकतम पेड़ों को ट्रांसलोकेट कर बचा लिया जाए।

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