COVID-19: देश में बंद हो सकता है कोरोना संक्रमितों का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज, जानें- क्या है वजह

देश में जल्द ही कोरोना संक्रमण के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी को बंद किया जा सकता है। देश की प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट डॉ.गगनदीप कांग के नेतृत्व में कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मेडिकल रिसर्च की अग्रणी संस्था इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से प्लाज्मा थेरेपी बंद करने की मांग की है।

By Samanvay PandeyEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 08:18 AM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 07:13 PM (IST)
COVID-19: देश में बंद हो सकता है कोरोना संक्रमितों का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज, जानें- क्या है वजह
मेडिकल विशेषज्ञों ने आइसीएमआर से प्लाज्मा थेरेपी बंद करने की गुहार।

बरेली (दीपेंद्र प्रताप सिंह)। देश में जल्द ही कोरोना संक्रमण के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी को बंद किया जा सकता है। देश की प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट डॉ.गगनदीप कांग के नेतृत्व में कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मेडिकल रिसर्च की अग्रणी संस्था इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से प्लाज्मा थेरेपी बंद करने की मांग की है। इस बाबत प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के.विजयराघवन को पत्र भेजा जा चुका है। चूंकि डॉ.कांग केंद्र सरकार की सलाहकार भी हैं, ऐसे में बहुत ज्यादा संभावना है कि आइसीएमआर प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना संक्रमण के इलाज की गाइडलाइन से हटा दे। इस बाबत आइसीएमआर की नेशनल टास्क फोर्स की बैठक भी हो चुकी है। जल्द ही इस पर फैसला आने की उम्मीद है।

इसलिए नाकामयाब रही प्लाज्मा थेरेपी : वैक्सीन साइंस के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ.अतुल अग्रवाल ने बताया कि आइसीएमआर ने अपनी गाइडलाइंस से अभी तक प्लाज्मा थेरेपी को नहीं हटाया था, इसलिए इसका प्रयोग देश भर में चल रहा था। हालांकि आइसीएमआर ने भी इसको केवल माइल्ड यानी कोविड संक्रमण के शुरुआती दौर (पांच से सात दिन) में ही कारगर माना था, गंभीर मरीजों के लिए संस्तुति नहीं की गई। लेकिन हकीकत में कोई भी मरीज संक्रमित होने के सात से दस दिन बाद ही इलाज कराने पहुंचता है। इस अवधि तक संक्रमण के खिलाफ काफी एंटीबॉडी बन जाती हैं, या फिर वायरस शरीर के अंग जैसे फेफड़े, हार्ट आदि पर असर डाल चुका होता है। ऐसे में दोनों ही हालात में प्लाज्मा थेरेपी कारगर नहीं रहती।

ब्रिटेन, अर्जेंटीना और कनाडा पहले बंद कर चुके प्लाज्मा थेरेपी : प्लाज्मा थेरेपी पर पहली स्टडी ब्रिटेन में हुई थी, यहां करीब 11 हजार मरीजों पर अध्ययन किया गया। प्लाज्मा थेरेपी का कोई विशेष असर नहीं दिखा। जिसके बाद ब्रिटेन में यह थेरेपी बंद हो गई। इसी तरह अर्जेंटीना और कनाडा ने भी स्टडी के बाद प्लाज्मा थेरेपी को नहीं अपनाया।

शुरू में इसलिए हो रहा था प्रयोग : कोरोना के इलाज की कोई पुख्ता दवा अभी तक सामने नहीं आई है। अन्य दवाओं के साथ ही फौरी इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का भी ट्रायल किया गया। सोचा गया कि संक्रमण मुक्त होने वाले व्यक्ति की एंटीबॉडी से बने प्लाज्मा से दूसरे संक्रमित व्यक्ति का इलाज हो सकता है या नहीं। परंतु ये पद्धति भी कारगर साबित नहीं हुई और विश्व के कई देशों ने इसे नहीं अपनाया।

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