शाहजहांपुर में खून पसीने की कमाई को बचाने के लिए किसानों ने लगाया जुगाड़, पेड़ों पर सुखा रहे धान
कुदरत के कहर रूपी भारी बारिश से खेती डूबी खून पसीने की कमाई (धान की फसल) को बचाने के लिए किसानों ने अपना जुगाड़ बनाया है।बाढ़ की समस्या से जूझ रहे किसान अब पेड़ों का सहारा ले रहे है।
बरेली, जेएनएन। कुदरत के कहर रूपी भारी बारिश से खेती डूबी खून पसीने की कमाई (धान की फसल) को बचाने के लिए किसानों ने अपना जुगाड़ बनाया है।बाढ़ की समस्या से जूझ रहे किसान अब पेड़ों का सहारा ले रहे है। जिसके चलते वह बारिश में पूरी तरह से भीग चुकी धान की फसल को पेड़ों पर सुखा रहे है।धान की फसल को सुखाने के लिए इस जुगाड़ से किसान थोड़ी राहत मिलने की संभावना जता रहे है।
पानी से फसल को निकालने के लिए ले रहे ट्यूब का सहारा
भारी बारिश में डूबी धान की फसल को बाहर निकालने के लिए किसान ट्यूब का सहारा ले रहे है।जिसके जरिए वह धान की फसल को खेतों से खींचकर बाहर निकाल रहे है। तिलहर, जलालाबाद, पुवायां सहित पूरे क्षेत्र में धान की फसल डूबी हुई है।जिसकाे उन्होंने किसी तरह से पानी से निकाल लिया है।
पेड़ों की टहनियों पर सुखा रहे धान
किसान धान की कटी फसल को पेड़ों की टहनियों पर सुखा रहे है। धूप और हवा के चलते धान की पराली भी सूखने लगी है। अब इससे किसानों में लागत निकलने की उम्मीद जागी है।
पीलीभीत में डूबी धान की फसल
चार दिन से खेतों में डूबी पड़ी फसल सड़ने की संभावना है। पानी फसल के ऊपर कई कई फिट तक चल रहा है। इससे किसान बेहद हताश और परेशान नजर आ रहे हैं। सब्जी की फसल को भी बरसात में बेहद नुकसान पहुंचाया है।
सोमवार की रात हुई मूसलाधार बारिश ने सभी जगह पानी पानी कर दिया है। इस पानी से जहां शारदा नदी के किनारे रहने वाले लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हुआ है वहीं खेतों में तैयार खड़ी धान की फसल को भी बेहद नुकसान हुआ है। हवा के साथ बरसात होने से धान की फसल खेतों में लेट गई है। निचले खेतों में कई कई फिट तक पानी बह रहा है। पानी के वेग के आगे फसल धराशायी हो गई है। पिछले चार दिनों से फसल के ऊपर पानी चलने से धान सड़ने की आशंका है। पांच दिन पहले जिस धान की कंबाइन मशीन से कटाई की तैयारी हो रही थी
उन खेतों में पानी भरने से अब कटाई एक सप्ताह तक न होने की उम्मीद है। तैयार धान खेतों में गिर जाने से उसमें से अंकुर निकलने पर वह पूरी तरीके से बर्बाद हो जाएगा। किसानों ने बताया की निचले और ऊंचे स्थानों पर खड़े सभी प्रकार का धान बरसात से बर्बाद हुआ है। प्रशासनिक अधिकारियों को सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा दिया जाना चाहिए। गोमती नदी और शारदा के किनारे के खेत पूरी तरीके से बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। धान के खेतों को बचाना किसानों के लिए भी चुनौती होगा। जिन किसानों ने धान की हाथ से कटाई की थी बुधवार को वह पानी से धान को निकाल कर सुरक्षित स्थान पर ले जाते दिखाई दिए।
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हाथ कटाई की बढ़ेगी मांग
सभी जगह तैयार हो चुकी फसल को किसान बेहद तन्मयता के साथ कटाने की तैयारी कर रहे थे लेकिन अचानक बरसात ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। फसल भी खेतों में गिर गई। ऐसे में कंबाइन मशीन वहां जाना और उससे कटाई कराना संभव नहीं है। हाथ से कटाई करने की मांग बढ़ेगी। इससे जो जरूरतमंद लोग खाली बैठे थे उनको रोजगार मिलेगा।