SRMS Drama News : देश के विभाजन के बाद का दर्द और समस्याओं को किया बयान

SRMS Drama News एसआरएमएस रिद्धिमा में ख्वाजा असमद अब्बास लिखित छोटी कहानी लेटर फ्राम द चाइल्ड पर आधारित नाटक टु गांधी जी विद स्पेलिंग मिस्टेक का मंचन किया गया। इसमें देश के विभाजन के बाद बदले हुए हालात हिंदू और मुसलमानों के बीच बढ़ रही दूरियों को बयान किया।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 11:34 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 11:34 AM (IST)
SRMS Drama News : देश के विभाजन के बाद का दर्द और समस्याओं को किया बयान
SRMS Drama News : देश के विभाजन के बाद का दर्द और समस्याओं को किया बयान

बरेली, जेएनएन। SRMS Drama News : एसआरएमएस रिद्धिमा में ख्वाजा असमद अब्बास लिखित छोटी कहानी "लेटर फ्राम द चाइल्ड" पर आधारित नाटक "टु गांधी जी विद स्पेलिंग मिस्टेक" का मंचन किया गया। इसमें बच्चों ने देश के विभाजन के बाद बदले हुए हालात, हिंदू और मुसलमानों के बीच बढ़ रही दूरियों को बयान किया। हिंदी को हिंदुओं और उर्दू को मुसलमानों की भाषा मानते हुए बच्चों के इंग्लिश में पत्र लिखा। क्योंकि उन्हें पता था कि जो इंग्लिश बोलते और पढ़ते हैं वो दोनों धर्मों से अलग और सेक्युलर होते हैं। इंग्लिश में पत्र लिखते समय स्पेलिंग में गलतियां होती हैं और परिस्थितियां हास्य की बनती हैं।

नाटक के आरंभ में पाकिस्तान के बुजुर्ग जैनब अपनी नातिन को बचपन की कहानी सुनाती है। बताती है कि भारत विभाजन से पहले वह अपनी अम्मी, अब्बू और भाई बहनों के साथ दिल्ली में रहती थी। मुहल्ले में उसके हिंदू दोस्त भी थे। विभाजन के बाद लाहौर से दिल्ली आया गुरविंदर भी था। जो गुमसुम रहता था। फ्लैशबैक में दिल्ली के एक मुहल्ले के बच्चों और जैनब के बीच बातचीत हो रही होती है।

बच्चे गांधी जी से मिलना चाहते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से गांधी जी की हत्या हो चुकी है। ऐसे में वो मानते हैं कि उन्हें पत्र लिखकर स्वर्ग या जन्नत भेजा जाये। बच्चे इंग्लिश में पत्र लिखने का फैसला करते हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि गांधी जी ने अपनी पुस्तक एक्सपेरीमेंट विद ट्रुथ इंग्लिश में लिखी थी। राइटिंग अच्छी होने से राधा को पत्र लिखने की जिम्मेदारी दी जाती है, लेकिन उनकी इंग्लिश कमजोर है।

ऐसे में जैनब पत्र लिखवाती है। इस दौरान स्पेलिंग मिस्टेक होती है। पूरे नाटक में इन परिस्थितियों से विनोद की स्थितियां उत्पन्न होती हैं। बदली परिस्थितियों में गांधी जी को वापस आने और फिर देश में सभी समुदायों में एकता स्थापित करने की गुजारिश करते हैं। अंत में जैनब नातिन को बताती है कि वह भी अपने वालिद के साथ वतन हिंदुस्तान को छोड़कर पाकिस्तान आ गये।

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