Rakshabandhan 2020: इस बार देसी राखियों से मनाया गया स्नेह और प्यार का पर्व रक्षाबंधन
भाई-बहन के प्यार व स्नेह का पर्व रक्षाबंधन बरेली में धूमधाम के साथ मनाया गया। इस बार जहां कोरोना संक्रमण के चलते सावधानी के साथ बहनों ने प्रेम के इस त्योहार को मनाया।
बरेली, जेएनएन : भाई-बहन के प्यार व स्नेह का पर्व रक्षाबंधन बरेली में धूमधाम के साथ मनाया गया। इस बार जहां कोरोना संक्रमण के चलते सावधानी के साथ बहनों ने प्रेम के इस त्योहार को मनाया। वहीं भाईयों से संकल्प में मास्क आदि सावधानी को बरतने का वचन भी लिया। वहीं दूसरी ओर राखी के त्योहार में इस बार चीन को करीबन सात करोड़ की चपत लगी है। इससे पहले बाजार में 70 फीसदी चाइनीज राखी का कब्जा रहता था। जो कि इस बार पूरी तरह से देसी राखियों का ही बाजार बरेली में लगा।
रक्षाबंधन यूं तो भाई-बहन के आपसी प्रेम का प्रतीक है, लेकिन इस बार देशप्रेम की भावना इस पर हावी दिखी। लद्दाख सीमा पर 20 भारतीय जांबाजों के बलिदान से पूरे देश में चीन के प्रति गुस्सा है। सभी चीजों में चाइनीज उत्पाद का बहिष्कार शुरू हुआ तो इस बार बहनों व व्यापारियों ने चाइनीज राखियों तौबा कर ली, वहीं बहनों ने भी देसी राखियां खरीद व भाईयों की कलाई में इसे बांधा। जिसके चलते इस बार चाइनीज राखियों की चमक बिल्कुल फीकी पड़ गई। है। नाथनगरी में इस बार होलसेल से लेकर रिटेल तक की दुकानों में बरेली में निर्मित या कोलकाता, दिल्ली आदि की बनी देसी राखियों की ही धूम रही।
राखी बाजार पर एक नजर
12 राखी निर्माता 50 होलसेलर 1000 रिटेलर 10 करोड़ टर्नओवरसीमा सील न होती तो और होता रोजगार
नाथनगरी में पटवा समाज के लोग राखी बनाने का काम करते हैं। पटवा समाज के राजेंद्र देवल बताते हैं कि उनके समाज के कुछ लोग राखी बनाने का काम करते हैं। पिछली बार तक जहां राखी के बाजार में चाइनीज हावी होता था, इस बार उनकी बनाई राखियों की डिमांड अच्छी रही। आस पास के जनपदों समेत उत्तराखंड के कुछ जिलों में भी राखी की सप्लाई हुई। वह बताते हैं कि अभी तक जहां चार से पांच लाख का ही व्यापार होता था, वहीं इस बार इसमें बढ़ोत्तरी हुई है। जबकि अगर दूसरे राज्यों की सीमाएं खुली होती तो और अधिक व्यापार होने की उम्मीद थी।