पूर्वोत्तर रेलवे का ये यांत्रिक कारखाना कर रहा जल संरक्षण का काम, रख रहा बूंद-बूंद पानी का हिसाब

पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल का यांत्रिक कारखाना रेलवे के कार्यों के साथ ही जल संरक्षण का भी काम कर रहा है। यहां रोजाना जमीन से लिए जाने वाले पानी से लेकर खर्च होने तक का लेखा-जोखा तैयार किया जाता है।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 08:00 AM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 01:54 PM (IST)
पूर्वोत्तर रेलवे का ये यांत्रिक कारखाना कर रहा जल संरक्षण का काम, रख रहा बूंद-बूंद पानी का हिसाब
पूर्वोत्तर रेलवे का ये यांत्रिक कारखाना वाली खबर का फोटो

बरेली, अंकित शुक्ला। पूर्वोत्तर रेलवे के इज्जतनगर मंडल का यांत्रिक कारखाना रेलवे के कार्यों के साथ ही जल संरक्षण का भी काम कर रहा है। यहां रोजाना जमीन से लिए जाने वाले पानी से लेकर खर्च होने तक का लेखा-जोखा तैयार किया जाता है। पानी दोहन रोकने के लिए पूरे कारखाने में वाटर मीटर लगाया गया है। जिससे बर्बाद होने वाले पानी पर अंकुश लग सका है। इंजीनियरिंग विभाग रोजाना वाटर मीटर की रीडिंग लेने का काम करता है। कारखाने में इफूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगाए गए है।

जो वेस्टेज पानी को रिसाइकिल करने का काम करते है। रिसाइकिल पानी का इस्तेमाल एक्सेल बॉक्स क्लीनिंग प्लांट, स्प्रिंग वाश टैंक, कारखाने के 16 पार्क, 17 शौचालयो के फ्लैशिंग टैंक में इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। कारखाना परिसर में बिछी वाटर पाइप लाइन में अलग-अलग जगह 30 वाटर मीटर लगे हैं। जिसकी मदद से कारखाने में इस्तेमाल होने वाले बूंद-बूंद पानी का हिसाब रखा जाता है। अगर कहीं पर वाटर पाइप टूटा होगा पानी बह रहा है, तो इसकी जानकारी भी तुरंत हो सकेगी। इस तरह की जा रही पानी की मॉनिटरिंगइज़्ज़तनगर यांत्रिक कारखाने में पानी का दोहन रोकने के लिए बाकायदा एक टीम बनाई गई है। जिसमे इंजीनियरिंग विभाग के भी लोग शामिल है।

यह टीम नियमित जमीन से लेने वाले पानी का रिकॉर्ड रजिस्टर में दर्ज करती है। उसके बाद शाम को भी खर्च होने वाले पानी का रिकॉर्ड दर्ज किया जाता है। जिससे यह पता चलता है कि औसत कितना पानी रेल कारखाना ट्रेन कोच, मशीन आदि धुलाई में प्रतिदिन खर्च होता है। जो भी गंदा पानी होता है,उसे ईटीपी में रिसाइकल कर साफ किया जाता है और उसके बाद इस पानी को भी वापस से धुलाई, शौचालय और गार्डन आदि जगह पर इस्तेमाल में लाया जाता है। इस व्यवस्था से रेलवे प्रतिदिन हजारों लीटर पानी का दोहन होने से बचा रहा है।

एक नजर

कारखाना में कुल वॉटर प्लांट - 30

इफूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट - 2

रोजाना जमीन से निकालता पानी - 90

हजार लीटर इस्तेमाल हो रहा पानी - 80 हजार लीटर

रेल कारखाना में जल संरक्षण का काम किया जा रहा है। इसके लिए सभी वाटर लाइन में वाटर मीटर लगाए गए हैं। जिसके माध्यम से रोजाना खर्च होने वाले पानी का ब्यौरा रखा जाता है। इससे बेवजह बर्बाद होने वाले पानी पर अंकुश लगा है। यही नही ईटीपी के माध्यम से इस्तेमाल हो चुके पानी को रिसाइकिल कर दोबारा इस्तेमाल में लाया जाता है। - राजेंद्र सिंह, जनसंपर्क अधिकारी इज़्ज़तनगर मंडल

 

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