एचआइवी पाजिटिव होने का इनको नहीं गम, अब पीडि़तों की सेवा मेंं गुजार रहे जिंदगी, दे रहे खुशियों की डोज
World AIDS Day 2021 एक रफ्तार में चल रही जिंदगी अचानक थम सी गई और मन में शंकाओं ने घर कर लिया। हताश मन और कंधों पर बीमारी का बोझ लेकर आगे बढऩे की इच्छा नहीं हुई। लेकिन परिवार और दोस्तों के सहयोग ने जिंदगी को बदल दिया।
बरेली, (अशोक आर्य)। World AIDS Day 2021 : एक रफ्तार में चल रही जिंदगी अचानक थम सी गई और मन में शंकाओं ने घर कर लिया। हताश मन और कंधों पर बीमारी का बोझ लेकर आगे बढऩे की इच्छा नहीं हुई। जिंदगी डरावनी लगने लगी, लेकिन परिवार और दोस्तों के सहयोग ने जिंदगी को बदल दिया। खुद एचआइवी पाजिटिव होने का दर्द भुलाकर अपने जैसे पीड़ितों की सेवा के लिए संस्था शुरू की। बस, फिर लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया। कई पाजिटिव का इलाज कराकर उन्हें खुशियों की डोज दी है। इसी काम में आगे का जीवन लगा दिया है।
शहर में 12 साल से एचआइवी पाजिटिव मरीजों की सेवा करने वाले इस शख्स ने विश्व एड्स दिवस से पहले जागरण से आपबीती साझा की। बोले, उस घड़ी को याद कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वर्ष 2005 में जब पता चला कि मैं एचआइवी पॉजिटिव हूं, बेहद डर गया था। मगर किसी से अपनी बीमारी छिपाई नहीं। परिवार और दोस्तों का भी पूरा सहयोग मिला। उस वक्त इलाज हर जगह नहीं था, सो दिल्ली में जाकर इलाज करवाया। इसके बाद यूपी नेटवर्क फॉर पीपुल लिविंग विथ एचआइवी-एड्स संस्था के संपर्क में आकर जीने का मकसद मिल गया। मन में अपने जैसे मरीजों की सेवा का भाव जागा और कदम आगे बढ़ा दिया।
सिटी में खोली थी संस्थाः बरेली पॉजिटिव पीपुल वेलफेयर सोसाइटी नाम से वर्ष 2006 में सिटी पर संस्था की शुरुआत की। वर्ष 2009 से संस्था ने पूर्ण रूप से काम शुरू किया। शुरू में अकेले जिला अस्पताल पहुंचकर जांच को आने वाले मरीजों की मदद की। धीरे-धीरे संस्था में पॉजिटिव सदस्य जुड़़ने लगे। उन्हें भी अपने जैसे मरीजों की सेवा में सुख मिलने लगा। सभी मिलकर जिला अस्पताल आने वाले मरीजों की जांचें और दवा दिलवाने में मदद करने लगे। बीमारी से हताश मरीजों को सुखद जीवन जीने को परामर्श भी देते। इसी तरह संस्था ने 12 साल में करीब दो हजार पॉजिटिव को सेवाएं दी।
विहान कार्यक्रम से जुड़कर दे रहे सेवाएंः संस्था ने मार्च 2013 तक मिलकर काम किया। जुलाई 2014 में संस्था के अध्यक्ष स्वास्थ्य विभाग के विहान कार्यक्रम में बतौर प्रोजेक्ट डायरेक्ट जुड़ गए। उसके बाद से किसी को भी एचआइवी संक्रमण होने का पता चलने पर उसे जिला अस्पताल में स्थित एआरटी सेंटर में ले जाकर स्वास्थ्य सेवाएं दिलवाने का काम शुरू किया। सेंटर से लिंक करने के साथ ही टेस्ट, दवा दिलाकर उनके परिवार की काउंसिलिंग भी करते हैैं। जो पीडि़त दवा छोड़ चुके हैैं, उन्हें दवा की महत्ता बताकर शुरू करवाते हैैं। उन्हें समाज में ससम्मान जीने के लिए परामर्श भी दे रहे हैं।