National Teacher Award : चयनकर्ताओ को पसंद आया बरेली की शिक्षिका का इतिहास पढ़ाने का तरीका, अब मिलेगा राष्ट्रपति से पुरस्कार, जानिए कैसे मिली उपलब्धि

National Teacher Award रामपुर के राजकीय बालिका इंटर कालेज की सहायक अध्यापिका राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित हुई। इस उपलब्धि के लिए उन्होंने अपनी तनख्वाह के एक हिस्से का इस्तेमाल बच्चों की पढ़ाई को रुचिकर बनाने में किया। स्कूल में प्रोजेक्टर लगवाया।

By Ravi MishraEdited By: Publish:Fri, 20 Aug 2021 12:50 PM (IST) Updated:Fri, 20 Aug 2021 12:50 PM (IST)
National Teacher Award : चयनकर्ताओ को पसंद आया बरेली की शिक्षिका का इतिहास पढ़ाने का तरीका, अब मिलेगा राष्ट्रपति से पुरस्कार, जानिए कैसे मिली उपलब्धि
National Teacher Award : चयनकर्ताओ को पसंद आया बरेली की शिक्षिका का इतिहास पढ़ाने का तरीका

बरेली, जेएनएन। National Teacher Award : रामपुर के राजकीय बालिका इंटर कालेज की सहायक अध्यापिका राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित हुई। इस उपलब्धि के लिए उन्होंने अपनी तनख्वाह के एक हिस्से का इस्तेमाल बच्चों की पढ़ाई को रुचिकर बनाने में किया। स्कूल में प्रोजेक्टर लगवाया। विज्ञान के मुश्किल फार्मूलों और प्रयोगों के लिए लैब तैयार कराकर संसाधन जुटाए। स्कूल के बच्चों को इतिहास के संदर्भ याद रखने में दिक्कत होने पर उन्होंने नाट्य मंचन का सहारा लिया। अब उनके अभिनव प्रयोग मिसाल बन चुके हैं।

सुभाषनगर की बीडीए कालोनी में रहने वाली तृप्ति माहौर को पांच सितंबर को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना है। इस राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए उत्तर प्रदेश से दो ही शिक्षकों का चयन हुआ है। जिसमें बरेली की रहने वाली तृप्ति का नाम भी शामिल है। उनकी इस उपलब्धि से शहर तो गौरवांवित हुआ है। साथ ही परिवार में भी खुशी का माहौल है। तृप्ति वर्तमान में रामपुर के राजकीय बालिका इंटर कालेज में सहायक अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने पर इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा।

ताकि कोई कान्वेंट स्कूल से कम न समझे हमारे बच्चों को

तृप्ति ने बताया कि कान्वेंट स्कूल के बच्चों की तुलना में सरकारी स्कूल के बच्चों को कम आंका जाता है। सिर्फ इसी सोच को खत्म करने के लिए उन्होंने कई प्रयास किए। जिसकी वजह से वह सम्मानजन पुरस्कार की हकदार हुईं। बताया कि उन्होंने बच्चों को पढ़ाने नहीं उन्हें हर विषय के टापिक की अच्छी समझ कराने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए। यही वजह है कि पिछले साल पहली बार विज्ञान की मंडलीय प्रतियोगिता में उनके कक्षा की छात्रा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।

कविताओं और पहेलियों से समझाई कठिन विषय

उन्होंने बताया कि ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण के जरिये बच्चों को सीधे जोड़ने का प्रयास किया। शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए कविताओं और पहेलियों का इस्तेमाल किया। कुछ महीनों के प्रयास से बच्चों को कठिन विषयवस्तु भी आसानी से समझ आने लगी। उनकी कोशिशें बच्चों के बौद्धिक विकास में मददगार साबित हुई।

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