सरकारी स्कूलों को संवार रहा इस पेंटर का जुनून, Bareilly News
उप्र के आम पेंटर मुस्तफा अब्बासी अपनी सोच और जज्बे के कारण खास पहचान बना चुके हैं। सरकारी स्कूलों की दीवारों पर उनके द्वारा उकेरे गए प्रेरक चित्रों ने बदायूं के स्कूलों को भी खास बना दिया है।
ऋषिदेव गंगवार ’ बदायूं : बदायूं, उप्र के आम पेंटर मुस्तफा अब्बासी अपनी सोच और जज्बे के कारण खास पहचान बना चुके हैं। सरकारी स्कूलों की दीवारों पर उनके द्वारा उकेरे गए प्रेरक चित्रों ने बदायूं के स्कूलों को भी खास बना दिया है। श्रमदान के अलावा वह अपनी कमाई का एक हिस्सा भी स्कूलों की बेहतरी में खर्च करते हैं।
अब्बासी पेशे से साधारण वाल पेंटर हैं। आमदनी भी साधारण ही है। लेकिन बावजूद इसके, अपने जिले के सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने का उनका जुनून उनकी पहचान बन चुका है। अपनी साधारण जीविका से कुछ समय निकालकर वह इन स्कूलों को संवारने में लगा देते हैं। यही नहीं, अपनी कमाई का एक हिस्सा भी सरकारी स्कूलों में सुविधाओं के लिए खर्च करते हैं।
सोच से संवर उठे कई परिषदीय स्कूल
बदायूं जिले के अनेक परिषदीय स्कूल उनकी इस सोच से संवर उठे हैं। उनके द्वारा की गई जिला स्तरीय पहल को अब प्रदेश में मुकाम मिलने लगा है। कहते हैं, अपनी कला के जरिये यदि मैं इन स्कूलों को आकर्षक बना सकूं ताकि दूरदराज गांवों के बच्चे भी ललक के साथ इन तक ¨खचे चले आएं, तो मेरी पहल सार्थक सिद्ध हो जाती है। मेरे चित्र बच्चों को आकर्षित करते हैं। उन्हें प्रेरणा भी देते हैं और पढ़ने व आगे बढ़ने का संदेश भी देते है।
बेरंग दीवारों में रंग भरने को जुटी टीम
एक साल पहले अब्बासी ने खुद यह मुहिम शुरू की और तब से किसी भी सरकारी स्कूल से चित्रकारी के बदले एक पैसा नहीं लिया। अब अब्बासी की टीम में उनके अन्य सहयोगी भी जुट गए हैं।इस टीम को जिले के परिषदीय स्कूलों को संवारने का ऐसा जुनून है कि बस सूचना आ जाए कि किसी स्कूल की दीवारें बेरंग हो चली हैं, वे पहुंच जाते हैं और दीवारें प्रेरक चित्रों से संवर उठती हैं। इसके बदले कोई मेहनताना नहीं लेते। स्कूल वालों को अपनी ओर से सिर्फ पेंट मंगवाना होता है। अब्बासी ने जिन स्कूलों में चित्रकारी की है, उनकी अब अलग पहचान बन गई है।
सिर्फ कमाई के लिए नहीं होती कला
मुस्तफा अब्बासी कहते हैं कि कला सिर्फ रुपये कमाने के लिए नहीं होती। मेरी कोशिश है कि इस कला के जरिये स्कूलों की स्थिति सुधरे, वहां अच्छा वातावरण दिखे ताकि बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए आएं। परिषदीय स्कूल भी कान्वेंट जैसे चमकते दिखेंगे तो बच्चे आकर्षित होंगे। बस, इसी सोच के साथ उन स्कूलों को निश्शुल्क सेवा दे रहा हूं। इससे मुङो एक सुकून भी मिलता है कि समाज के लिए कुछ तो कर पा रहा हूं।
पेंटर अब्बासी वाकई प्रेरणादायी काम कर रहे हैं। इस तरह की पहल होती रहनी चाहिए। इसी तरह सभी की सोच और सहयोग से सुशिक्षित समाज के निर्माण में किए जा रहे विविध प्रयास सार्थक साबित होंगे।
-दिनेश कुमार सिंह, डीएम, बदायूं