बनारस घराने के सुर और ताल से सजी रिद्धिमा की शाम, प्रस्तुति को लोगों ने सराहा

एसआरएमएस रिद्धिमा के मंच और ललित कला केंद्र में बसंतोत्सव संध्या का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक धरोहर जैसे नृत्य संगीत परंपराओं को पुन जीवित करने के उद्देश्य से शहर में स्थापित किए गए रिद्धिमा के मंच पर बनारस घराने के कलाकारों ने नाट्य प्रस्तुति दी।

By Sant ShuklaEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 03:23 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 03:23 PM (IST)
बनारस घराने के सुर और ताल से सजी रिद्धिमा की शाम, प्रस्तुति को लोगों ने सराहा
उनके संगीत के तालमेल ने दर्शकों को देश की सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू होने का मौका दिया।

 बरेली, जेएनएन। एसआरएमएस रिद्धिमा के मंच और ललित कला केंद्र में बसंतोत्सव संध्या का आयोजन किया गया। सांस्कृतिक धरोहर जैसे नृत्य संगीत परंपराओं को पुन: जीवित करने के उद्देश्य से शहर में स्थापित किए गए रिद्धिमा के मंच पर बनारस घराने के कलाकारों ने नाट्य प्रस्तुति दी। उनके संगीत के तालमेल ने दर्शकों को देश की सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू होने का मौका दिया। कत्थक की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया।

 स्टेडियम रोड स्थित एसआरएमएस रिद्धिमा के आडिटोरियम में सांस्कृतिक संध्या बसंतोत्सव की शुरुआत एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देवमूर्ति, सचिव आदित्य मूर्ति, आशा मूर्ति और ऋचा मूर्ति ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद पहली प्रस्तुति डा. ऊषा तिवारी ने सरस्वती वंदना के रूप में की। इसके बाद गायिका इंदू परडल ने 'आये दिन बहार के' फिल्म में लता मंगेशकर द्वारा गाये गाने 'सुनो सजना पपीहे ने' को अपने स्वरों से संवारा। दूसरी प्रस्तुति में उन्होंने डा. पंकज शर्मा के साथ 'लो फिर बसंत आई, फूलों पे रंग लाई' गीत गाकर दी। इसके बाद भरत नाट्यम की प्रस्तुति अंबाली प्रहराज ने डा. पंकज शर्मा के स्वरों से सजे कबीर के भजन 'लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे' पर भावपूर्ण प्रस्तुति देकर सभागार को आध्यात्म के रस में डूबो दिया। वहीं आनंद मिश्रा और शिवशंभू कपूर ने तबले पर जुगलबंदी प्रस्तुत कर सभागार में मौजूद सभी लोगों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। इसके बाद डा. पंकज मिश्रा के स्वर में प्रस्तुत शिव वंदना पर अमृत मिश्रा ने भावपूर्ण प्रस्तुति दी। इसके बाद बनारस घराने की श्वेता चौधरी ने भरतनाट्यम पर प्रस्तुति दी। वहीं बनारस घराने के वासु कृष्ण महाराज ने अपने छोटे भाई वैभव कृष्ण महाराज के साथ कत्थक नृत्य से कई विशेष प्रस्तुतियां दी। 

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