बरेली के इस प्रधान के प्रयास न सिर्फ गांव की बदली तस्वीर बल्कि अपराधों पर भी लगी लगाम, जानिए कैसे
बिथरीचैनपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत फरीदापुर इनायत खां के प्रधान कमलेश पटेल के प्रयासों ने गांव की तस्वीर ही बदलकर दिया। न सिर्फ गांव में विकास हुआ बल्कि चोरियां अपराध भी कम हो गए। उन्होंने अपने पैसे से गांव में सीसीटीवी लगवाए। इसकी प्रशासन ने भी प्रशंसा की।
बरेली, जेएनएन। बिथरीचैनपुर ब्लाक की ग्राम पंचायत फरीदापुर इनायत खां के प्रधान कमलेश पटेल के प्रयासों ने गांव की तस्वीर ही बदलकर दिया। न सिर्फ गांव में विकास हुआ बल्कि चोरियां अपराध भी कम हो गए। कमलेश पटेल ने सरकारी खर्च से तो विकास कराया ही बल्कि उन्होंने अपने खर्च पर पूरी ग्राम पंचायत में 42 सीसीटीवी कैमरे लगाए तो वहां अपराध कम हो गए। उनके प्रयासों को डीएम और सीडीओ ने सराहा। उन्हें प्रशस्तिपत्र भी दिए गए हैं।
कमलेश पटेल बताते हैं कि हमारी ग्राम पंचायत 1200 वोट की है। पहले सड़कें कच्ची थी। कीचड़ भरा रहता था। अब सभी सड़कें सीसी रोड और इंटरलॉकिंग हैं। साफ-सफाई है। असहाय परिवार की बेटियों की शादी के लिए तीन करोड़ की लागत से बरातघर बनवाया है। किसानों के लिए 80 लाख रुपये की लागत से मंडी तैयार हुई है। गांव में रोजगार भी बढ़ रहा है। 15 लाख की लागत से इसी साल खेल मैदान बनवाया गया है। पंचायतघर के लिए 25 लाख रुपये प्रशासन से स्वीकृत कराए गए हैं।
ग्राम पंचायत की महिलाओं को समूह से जोड़ा गया। समूह की महिलाओं के लिए पांच लाख लागत से एक बैठक स्थल बनाया गया। यहां बनने वाले कपड़े और सामान जर्मनी, फ्रांस, आस्ट्रेलिया तक सप्लाई किए जा रहे हैं। इससे महिलाओं को रोजगार मिला।
स्वच्छता के साथ पानी की आपूर्ति के लिए 40 लाख की लागत से आरओ टंकी लगवाई गई है। स्कूलों में फर्नीचर, कंप्यूटर लगवाए गए। आंगनबाड़ी केंद्र का निर्माण कराया गया। पिछले पांच सालों में गांव में आदर्श व्यवस्था की गई है।
क्या कहना है गांव वालों का
मेरा मानना है कि गांव के लिए चुने जाने वाले प्रधान समझदार होने चाहिए। देश की अर्थव्यवस्था में गांव भी एक महत्वपूर्ण कड़ी हैं।
मुकेश सक्सेना, ग्रामीण
फरीदापुर इनायतखां में बहुत काम हुए है। ग्राम प्रधान ऐसा ही होना चाहिए, जो लोगों की जरूरत को समझे और विकास करवाए।
अब्दुल नबी, ग्रामीण
पंचायत चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है। निर्वाचन आयोग को निष्पक्ष चुनाव कराने चाहिए। अच्छे प्रधान आएंगे तो गांव की तस्वीर बदलेगी।
नितिन भूषण, ग्रामीण