बड़ा सवाल है कि आखिर साहब ने ग्रुप क्यों छोड़ा
गुड माìनग से दिन की शुरुआत कर कोरोना अपडेट के साथ गुड ईवनिंग करने वाले साहब अब वाट्सएप ग्रुप पर काफी शात हैं। उनके हर काम के चर्चे होते हैं। वह जो भी करते हैं स्वास्थ्य विभाग की बेहतरी के लिए ही होता है। जिले के आला अधिकारी ऐसा ही समझते हैं।
बरेली, अंकित गुप्ता : गुड माìनग से दिन की शुरुआत कर कोरोना अपडेट के साथ गुड ईवनिंग करने वाले साहब अब वाट्सएप ग्रुप पर काफी शात हैं। उनके हर काम के चर्चे होते हैं। वह जो भी करते हैं स्वास्थ्य विभाग की बेहतरी के लिए ही होता है। जिले के आला अधिकारी ऐसा ही समझते हैं। लेकिन विभाग के ही लोग उनसे बहुत खुश नहीं रहते। वाट्सएप ग्रुप पर शात हो चुके साहब ने विभाग के ग्रुप से अपना त्याग पत्र दे दिया। ग्रुप से लेफ्ट होने का उनका मैसेज सबके मोबाइल पर पहुंचा, लेकिन इस बार किसी ने पूछा भी नहीं कि आखिर हुआ क्या। लेकिन अंदरखाने सबके मन में सवाल था कि डीएसओ साहब ग्रुप क्यों छोड़ गए। आजकल कोरोना अपडेट देने वालों के दिमाग में भी सवाल गूंजा कि उनके कारण तो ग्रुप नहीं छोड़ा। अब ग्रुप छोड़ने की असल वजह वही जानें, लेकिन चर्चा में रहना साहब खूब जानते हैं। यहा नहीं मिशन शक्ति
नवरात्र के साथ ही पूरे प्रदेश में मिशन शक्ति शुरू हुआ। उद्देश्य, महिलाओं की सुरक्षा, आत्म निर्भरता की दिशा में मजबूत करना। आदेश आया कि जिले भर में मिशन का खूब प्रचार-प्रसार हो। लेकिन स्वास्थ्य विभाग इस अभियान को कागजी मान रहा। शायद इसीलिए विभाग के एक बड़े साहब बीते दिनों महिला डॉक्टर के साथ हुई बदसलूकी के मामले में समझौते का दबाव बना रहे। एक-दो नहीं कई बार महिला डॉक्टर को बुलाया। शराबी आरोपित को भला मानुष और महिला डॉक्टर को ही गलत ठहराया। मिशन केवल यहीं दम नहीं तोड़ रहा। बल्कि आला अधिकारी भी महिला सशक्तीकरण की राह में रोड़ा बने हैं। क्योंकि शिकायत मिलने के बावजूद ये भी चुप्पी साधे हैं। अब इंसाफ के लिए भटक रही महिला डॉक्टर कह रहीं कि नारी शक्ति बेअसर है। देखते हैं कि मिशन शक्ति महिला डॉक्टर के मर्ज का इलाज कर पाता है या फिर ऑपरेशन कागजों पर ही रहेगा। नहीं मागते धन और दौलत, न चादी न सोना
नवरात्र चल रहे हैं। भक्तों ने मातारानी का व्रत रखा है। सबकी अपनी आस्था है, व्रत रहना भी चाहिए। इससे मन को शाति मिलती है, साथ ही कई बीमारियों का भी नाश हो जाता है। स्वास्थ्य विभाग के भी कुछ लोगों ने व्रत रखा है। नवरात्र के बाद से जब वह टीका लगाकर ड्यूटी पहुंचे तो सबको पता चल गया कि बाबूजी पूजा करके आए हैं। पूछा तो बताया कि पूरे नौ दिन व्रत हैं। दोनों टाइम पूजा करनी होती है इसीलिए आजकल शाम को जल्दी भी चले जाते हैं। एक बार क्या पूछा, बाबूजी खुद ही सब बताते चले गए। बोले सुबह अज्ञारी करते हैं और शाम मंदिर दर्शन करने के साथ आरती होती है। बाबूजी की भक्ति पर सभी ने सराहना की तो किसी ने चुटकी ले ली, बोले- दोनों हाथों से माल बटोरन वालेऊ 'नहीं मागते धन और दौलत न चादी न सोना' वाली आरती कर रहे। स्वास्थ्य विभाग का हाल देख कोरोना भी चौंका
स्वास्थ्य महकमा। इसका काम है लोगों के मर्ज को जानकर उसका इलाज करना है। लेकिन जिले का स्वास्थ्य विंभाग सुशासन की राह में खुद ही मर्ज बनता जा रहा है। वजह, यहां मिलने वाली अपरंपार गड़बड़ियां। एक, दो नहीं बल्कि दर्जनों केस जिसमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लक्ष्मीजी को अपना बनाने की होड़ है। इसके लिए साम, दाम, दंड, भेद कोई भी नीति अपनाने से नहीं चूक रहे। आए दिन यहां दलाली, कमीशनबाजी, रिश्वत और सुविधा शुल्क की शिकायतें मिलती रहती हैं। जिले भर के झोलाछाप महकमे में ही क्लाइंट रहे हैं। यही नहीं, दुनिया को घुटनों पर लाने वाला कोरोना भी यहां का सिस्टम देखकर खुद अचरज में रह गया। जब उसे हराने के संसाधन जुटाने के नाम पर कुछ अधिकारियों ने अपनी जेबें भरीं। कुछ मामलों में जिले से सबसे बड़े स्वास्थ्य अधिकारी तक का नाम बदनाम हुआ। लेकिन कुछ अधिकारियों का रवैया आज भी कायम है।