बरेली में छात्रों ने चुनौतियों के आगे नहीं मानी हार

दिल में कुछ कर गुजरने के अरमान हो तो आसमान भी बौना साबित हो जाता है। सही दिशा में अनवरत प्रयास करने से मंजिल खुद ही कदम चूम लेती है। इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है जिले के चंद होनहारों ने।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 04:40 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 04:40 AM (IST)
बरेली में छात्रों ने चुनौतियों के आगे नहीं मानी हार
बरेली में छात्रों ने चुनौतियों के आगे नहीं मानी हार

बरेली, जेएनएन: दिल में कुछ कर गुजरने के अरमान हो तो आसमान भी बौना साबित हो जाता है। सही दिशा में अनवरत प्रयास करने से मंजिल खुद ही कदम चूम लेती है। इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है जिले के चंद होनहारों ने। आर्थिक विपन्नता के साथ ही शारीरिक अक्षमता को मात देकर इन मेधावियों ने सफलता के शिखर पर मेधा का जो परचम लहराया है, वह आने वाली पीढि़यों के लिए प्रेरणादायक है। कोरोना काल में पिता को गंवाने के बाद भी किसी ने सफलता हासिल की तो किसी ने बिना हाथों के ही सफलता की इबारत लिख डाली। किसानों व छोटे कामगारों के बच्चे भी इसमें पीछे नहीं रहे। पेश है एक रिपोर्ट..। आखिर वक्त में पापा ने कहा था, बेटा अच्छे नंबर लाना

जासं, बरेली: इंटरमीडिएट के अच्छे नतीजे, बेहतर भविष्य की तरफ पहला कदम माने जाते हैं। कांतिकपूर ग‌र्ल्स इंटर कालेज की 12वीं की छात्रा मन्मय मिश्रा ने कोरोना के चलते पिता को गंवाने के बाद भी बेहतर अंक हासिल किया। वह कहती हैं कि संक्रमित होने के बाद अस्पताल में पापा ने कहा था कि तुम 12वीं में दीदी से अच्छे नंबर लाना। मैं तो ठीक हो जाऊंगा, पर तुम अपनी पढ़ाई से समझौता मत करना। उनके पिता सुनील कुमार के यही शब्द आखिरी साबित हुए। 27 अप्रैल को उनकी मौत हो गई।

बोर्ड परीक्षा की तैयारियों में जुटी मन्मय पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। ऐसे कठिन समय में विचलित हुए बिना पिता के आखिरी शब्दों को ही उन्होंने अपना संबल बना लिया। वह बताती हैं कि पापा से किए वादे को याद कर खुद को संभाला और परीक्षा की तैयारी में जुट गईं। उनकी बहन तन्मय मिश्रा के पिछले साल 12वीं में 79 फीसद अंक थे। उन्होंने 12वीं में 80 फीसदी अंक पाकर पापा से किया वादा पूरा किया है। किसान के बेटे ने छुआ आसमान

जासं, बरेली: सुर्खा बानखाना निवासी किसान राजेश शर्मा के बेटे सक्षम उपाध्याय ने 12वीं में 93.5 फीसद अंक प्राप्त कर सफलता का परचम लहराया है। रिजल्ट आने से पहले ही वह स्कूल में पहुंच गए। रिजल्ट आने पर सर्वाधिक अंक प्राप्त होने का पता लगा। फोन कर परिवार में इसकी जानकारी दी तो खुशी का ठिकाना न रहा।

सक्षम ने बताया कि उनके पिता किसान होने की वजह से गांव आसपुर में ही रहते हैं। परीक्षा से पहले घर की आर्थिक स्थिति कमजोर हुई तो इसकी वजह से ट्यूशन भी छोड़ना पड़ा। उस समय पापा के संघर्ष को देखकर मैंने खुद से यह वादा किया कि 90 फीसद से ऊपर अंक प्राप्त करने हैं, ताकि पापा को इस बात का दुख न हो कि ट्यूशन छूटने की वजह से अंक कम रह गए। इस बीच शिक्षकों का भरपूर सहयोग मिला। दिन- रात खुद पढ़ाई की। यही कारण है कि स्कूल में सर्वाधिक अंक मिले। बिन हाथ, लिख डाला सफलता का पाठ

जासं, बरेली: मम्मी ने बचपन से लेकर अब तक यही सिखाया कि कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना है। तुम्हारे सामने चाहे जो भी परिस्थितियां हों, उनका डटकर मुकाबला करो। उनकी इस सीख की बदौलत ही मैंने कभी खुद को अक्षम महसूस नहीं किया।

उर्वशी कसोधरा कांति कपूर स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा हैं। शनिवार को जारी हुए परीक्षा परिणाम में उन्होंने 70 फीसद अंक प्राप्त किए हैं। कहती हैं कि हाथ नहीं तो क्या, मेरा इरादा तो हमेशा से मजबूत ही रहा है। आज जितने भी अंक प्राप्त किए हैं, उन्हीं में मैं और मेरा परिवार खुश है। उर्वशी कहती हैं कि परीक्षाएं नहीं होने से जिस तरह के अंक आने की उम्मीद थी, उससे कम मिले। बावजूद इसके वह उदास नहीं हैं। बोर्ड की मूल्यांकन प्रक्रिया को समझ से परे बताया। उर्वशी सिविल सर्विस में जाकर देश की सेवा करना चाहती हैं। पापा ने कभी गरीबी का एहसास ही नहीं होने दिया..

जासं, बरेली: कभी ऐसा समय भी आया, जब घर में सुबह रोटी बनी तो रात में क्या बनेगा, इस बारे में सोचना पड़ा। गरीबी से जूझते हुए भी पापा ने हमें कभी इसका अहसास नहीं होने दिया। घर में किसी चीज का इंतजाम हो या न हो, लेकिन कापी-किताबें दिलाने में उन्होंने कभी देर नहीं की। जय नारायण स्कूल में 12वीं के छात्र विकास मौर्य ने 85.4 फीसद अंक प्राप्त किए हैं। पिता सोमपाल जोगी-नवादा में कपड़ों की सिलाई करते हैं। विकास ने बताया कि पापा जितना दिन भर में कमाते हैं, उसका 80 फीसद वह हमारी पढ़ाई में लगा देते हैं। वह कहते हैं यह समय पढ़ाई करने का है। अगर गरीबी को देख पढ़ाई से समझौता कर लिया तो जिदगी की राहें बहुत मुश्किल हो जाएंगी। पापा का सपना है कि उनके सभी बच्चे अधिकारी बनें। सिर्फ उसी को पूरा करने के लिए मेहनत किए जा रहे हैं। जो सुख पापा ने हमारी इच्छाओं को पूरा करने के लिए त्याग दिया, आगे चलकर पापा को वही सुख देना है।

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