Startup Project News : बरेली के कारोबारी बोले- योजना अच्छी लेकिन कारीगरों को नहीं मिल पा रहा लाभ
Bareilly Startup Project News बरेली में स्टार्ट अप प्रोजेक्ट बैंकों का भरोसा नहीं जीत सके। लिहाजा उसका खामियाजा जरी कारीगरों को भुगतना पड़ रहा है।नोटबंदी के बाद कोरोना से ने जरी कारीगरों के हालात और भी खराब कर दिए हैं।
बरेली, जेएनएन। Bareilly Startup Project News : बरेली में स्टार्ट अप प्रोजेक्ट बैंकों का भरोसा नहीं जीत सके। लिहाजा उसका खामियाजा जरी कारीगरों को भुगतना पड़ रहा है।नोटबंदी के बाद कोरोना से ने जरी कारीगरों के हालात और भी खराब कर दिए हैं। जरी कारीगरी से जुड़े अमान खान और मोहसीन आलम बताते हैं कि नोटबंदी के बाद से इस काम में दुकानदारों ने साथ छोड़ दिया। पहले दुकानदार एडवांस पैसे दे देते थे। लेकिन अब उन्होंने स्टॉक रखना बंद कर दिया है। आर्डर मिलने पर ही वह कारीगरों को आर्डर और पैसे देते हैं। बताया कि इसकी बड़ी वजह जीएसटी भी है। बताया कि कोरोना संक्रमण शुरू होने के बाद बीते दो सालों में जरी कारगर काफी प्रभावित हुआ। विदेशों में माल नहीं जा पाया, इसके चलते आर्डर भी कम आए। हालांकि अब स्थिति सामान्य हो रही है।
आगे बढ़ाने के लिए प्रचार प्रसार और प्रशिक्षण
ओडीओपी योजना को आगे बढ़ाने और सफल बनाने के लिए विभाग के पास प्रचार प्रसार ही सबसे बड़ा हथियार है। इसके लिए समाचार पत्रों और होर्डिंग पोस्टर के जरिए प्रचार प्रसार किया जाता है। इसके अलावा अलग अलग ट्रेड के प्रशिक्षण के जरिए जरी जरदोजी और आभूषण और बांस बेत के काम का प्रशिक्षण दिया जाता है। जिससे नए लोग इसमें भाग ले सके। इसके अलावा ओडीओपी के मेलें भी लाए जाते हैं।
ओडीओपी अच्छी योजना है। लेकिन बैंकों के कारण इसका लाभ कारीगरों को नहीं मिल पा रहा है। बैंक कारीगरों को चार से पांच लाख तक ही देती हैं। मुझे दो लाख दिए, बस काम ही कर पाया, ब्रांडिंग के लिए कुछ नहीं कर सका। - अमान खान, जरी कारीगर
ओडीओपी योजना के जरिए जरी जरदोजी का कारोबार तो बढ़ा है। लेकिन इसके असली हकदार जरी कारीगर इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। जो कसनदार या कारखानेदार और एक्सपौर्टर हैं, उन्हें इसका लाभ मिला। विभाग ने प्रयास किए लेकिन बैंकों ने कारीगरों पर भरोसा नहीं किया। - सैयद मोहसीन आलम, जरी कारोबारी
ओडीओपी योजना के जरिए काफी मदद मिली है। इसके जरिए करीब 42 लाख का लोन लिया, जिसे धीरे धीरे कर इस्तेमाल कर रहे हैं। अब तक आठ लाख ही इस्तेमाल कर सके। योजना अच्छी है, लेकिन सही लोग इसका इस्तेमाल करें तब। कंपनी स्थापित करने में ओडीओपी से बड़ी मदद मिली। - सुदीप राजगढ़िया, एक्सपोर्टर
बेत का काम पहले भी करते थे। ओडीओपी योजना का लाभ मिलने के बाद हमें एक पहचान मिली। अब बरेली को बेत उत्पाद के रूप में भी जाना जाता है। हम बेत बांस के कई प्रोडक्ट बनाकर आज विदेशों तक भेज रहे हैं। इसमें ओडीओपी की अहम भूमिका है। - तरुण त्यागी, चेयरपर्सन, नव्या एक्सपोर्ट