Loksabha Election 2019: स्टार प्रचारक न बड़ी रैली, कदमों से बड़ा लक्ष्य साध रहे वरुण गांधी
पीलीभीत संसदीय क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी फिरोज वरुण गांधी की शैली सबसे सबसे अलग और अलहदा है। एक भी स्टार प्रचारक पार्टी के बड़े नेता की दस्तक नहीं हुई।
देवेंद्र देवा, पीलीभीत : चुनावी समर में हर प्रत्याशी अपने दल के बड़े नेता, स्टार प्रचारकों के जरिए माहौल बनाने में जुटा है। भाजपा प्रत्याशी भी खुद को कमजोर नहीं रखना चाहते। कहीं अमित शाह, कहीं राजनाथ सिंह, कहीं योगी तो किसी की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा की है। पीलीभीत संसदीय क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी फिरोज वरुण गांधी की शैली इन सबसे सबसे कहीं अलग और अलहदा है। एक भी स्टार प्रचारक, पार्टी के बड़े नेता की दस्तक नहीं हुई। वरुण खुद हर रोज कस्बों से लेकर छोटे-छोटे गांवों में दस्तक दे रहे। बड़ी सभा, रैली के बजाय सौ-दो सौ स्थानीय लोगों के बीच ही अपनी बात कह रहे। पीलीभीत से अपने परिवार के 30 साल पुराने रिश्ते, अपनी अलग संवाद शैली और मोदी सरकार के काम. इन तीनों के जरिए महज 20 मिनट के संबोधन में लोगों को अपना बनाकर काफिला चल पड़ता है अगली मंजिल की ओर। पीलीभीत और वरुण एकदूसरे के लिए नए नहीं है। बचपन बीता है यहां। मां छह बार यहां से सांसद रही ही हैं। 2009 में उनकी राजनीतिक पारी का आगाज भी यहीं से हुआ था। वैसे तो सुल्तानपुर से सांसद हैं। इस बार पार्टी ने मां मेनका गांधी और उनकी सीटों को एक दूसरे में बदल दिया।
अब तक साढ़े सात सौ गांवों का दौरा
29 मार्च को नामांकन दाखिल करने के बाद से वरुण अपने दम पर ही चुनावी जंग लड़ रहे हैं। रोजाना सुबह से ही कुछ पदाधिकारियों, कुछ क्षेत्रीय जानकारों को लेकर निकल जाते हैं क्षेत्र में। प्रतिदिन करीब 30 से 35 गांवों में दस्तक, लोगों से मेल मिलाप, उनकी बात सुनने और अपनी कहने का सिलसिला शाम तक चलता है। देर शाम से रात होने तक नगर के मुहल्लों में नुक्कड़ सभा, बैठक करते हैं।
परिपक्व शैली, भावनात्मक जुड़ाव और मोदी
वरुण दस साल से सांसद हैं। अब परिपक्व और आत्मविश्वास से लबरेज नजर आते हैं। संबोधन के शब्दों में 30 साल से पीलीभीत से भावनात्मक जुड़ाव का हवाला जरूर रहता है। कहते हैं गांव के लोगों ने उनका और उनकी मां का साथ दिया है। गांव उनके दिल में बसा हुआ है। गांव के लोगों के मान सम्मान की रक्षा करने का संकल्प दोहराते हैं। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हैं। मोदी जी ने खुद को राष्ट्रहित में समर्पित कर दिया है। बड़े बुजुर्गों के बीच खुद को बेटा बताकर आशीर्वाद मांगते हैं, वहीं युवाओं को अपना दोस्त बताकर आत्मीयता प्रदर्शित कर रहे हैं। बच्चों को प्यार से दुलारते हैं।
अंदाज ने खारिज किया बाहरी का मुद्दा
वरुण गाधी अपने इस अंदाज के जरिये स्थानीय-बाहरी मुद्दे को सिरे से खारिज कर रहे हैं। वह लोगों से हाथ उठाकर अपने पक्ष में वोट देने की हामी भी भरवा रहे हैं। संबोधन में वह यहा के प्रचलित शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। विकास कायरें की बजाय पारिवारिक रिश्ता होने को तरजीह दे रहे हैं।