बरेली में पिता के दिखाए रास्ते पर चलकर अफसर बना बेटा
पिता.. महज एक शब्द नहीं वरन अपनी औलाद के लिए सबसे बड़ा संबल है। खुद धूप में तपकर संतान को शीतल छांव देना ही उसका मकसद होता है। बेटे की सफलता से उसका संघर्ष सफल होता है। सेखापुर निवासी अनिल तिवारी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। इस किसान ने धरती का सीना चीरकर बेटे को आसमान पर पहुंचा दिया।
बरेली, शुभम शर्मा: पिता.. महज एक शब्द नहीं, वरन अपनी औलाद के लिए सबसे बड़ा संबल है। खुद धूप में तपकर संतान को शीतल छांव देना ही उसका मकसद होता है। बेटे की सफलता से उसका संघर्ष सफल होता है। सेखापुर निवासी अनिल तिवारी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। इस किसान ने धरती का सीना चीरकर बेटे को आसमान पर पहुंचा दिया।
हर कदम पर भले ही वह जीवन के झंझावातों से जूझते रहे, लेकिन बेटे को इसकी भनक तक न लगने दी। पिता के संघर्ष को देखकर उज्ज्वल भी प्रेरित हुआ। इसी का परिणाम है कि आज वह सेना में लेफ्टिनेंट है। इससे पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। वह कहते हैं कि बेटे की इस सफलता ने पूरे गांव का सम्मान बढ़ा दिया।
अनिल तिवारी बताते हैं कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से पत्नी भी निजी स्कूल में पढ़ाती हैं। उज्ज्वल को अगर किसी चीज की जरूरत होती तो वह मुझसे न कहकर अपनी मां से कहता था। दंपती ने अपनी ख्वाहिशों को मारकर बेटे की जरूरतों पर ध्यान दिया और परिणाम आज सबके सामने है।
बचपन से ही रहा मेधावी व होशियार
उज्जवल बचपन से ही होशियार व मेधावी था। वह अपने मां-बाप की परिस्थितियों को बेहतर समझता था। इसीलिए कभी किसी चीज के लिए जिद नहीं की। हालातों से समझौता कर उसने सफलता की इबारत लिख दी।
अब मां का सपना भी हो जाएगा पूरा
अनिल तिवारी ने बताया कि शादी के बाद से उनकी पत्नी कल्पना का सपना था कि अपना घर हो। उनके इस सपने के लिए प्रयास तो काफी किया, लेकिन सफल न हो सका। अब बेटा अफसर बन गया है। उम्मीद है कि वही अपनी मां का सपना पूरा करेगा।