बरेली प्रशासन के आंकड़ों में छह मौत, श्मशान पहुंचे 20 संक्रमितों के शव
कोविड संक्रमण से रविवार को स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में महज छह मौतें हुईं लेकिन शहर के तीन श्मशान भूमि में कोविड प्रोटोकाल से 20 शवों के दाह संस्कार हुए। चूंकि कोविड संक्रमित के शव का दाह संस्कार जल्दी कराना पड़ता है इसलिए बड़ी संख्या में पहुंचे शवों पर सवाल उठने लगे हैं।
बरेली, जेएनएन: कोविड संक्रमण से रविवार को स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में महज छह मौतें हुईं, लेकिन शहर के तीन श्मशान भूमि में कोविड प्रोटोकाल से 20 शवों के दाह संस्कार हुए। चूंकि कोविड संक्रमित के शव का दाह संस्कार जल्दी कराना पड़ता है, इसलिए बड़ी संख्या में पहुंचे शवों पर सवाल उठने लगे हैं।
रविवार को सिटी श्मशान भूमि में कुल 23 शव पहुंचे, जिसमें 13 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत हुआ। संजयनगर श्मशान भूमि पर पहुंचे 20 शवों में छह शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत किया गया। गुलाबबाड़ी श्मशान भूमि मे पांच शव पहुंचे थे, जिसमें एक शव का दाह संस्कार कोविड प्रोटोकाल से हुआ।
कोविड संक्रमण से मौतों के आंकड़े बढ़ने के बाद उत्तराखंड से श्मशान भूमि मे आने वाली लकड़ियां कम पड़ने लगी हैं। स्थानीय ठेकेदारों के जरिए श्मशान भूमि में लकड़ियां मंगवाई जा रही है। सिटी और संजयनगर श्मशान भूमि पर आम दिनों में 10 से 12 शव दाह संस्कार के लिए पहुंच रहे थे, लेकिन अब दोगुने शव पहुंच रहे हैं। इसलिए लकड़ियों की मांग भी बढ़ी है। लखनऊ, वाराणसी, कानपुर की तरह बरेली की स्थिति भी बिगड़ने लगी है।
18 अप्रैल
सिटी श्मशान भूमि
23 शव पहुंचे अंतिम संस्कार के लिए
13 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत हुआ
संजयनगर श्मशान
20 शव पहुंचे अंतिम संस्कार के लिए
06 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत हुआ
गुलाबबाड़ी श्मशान भूमि
05 शव पहुंचे अंतिम संस्कार के लिए
01 शव का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत हुआ
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17 अप्रैल
सिटी श्मशान भूमि
27 शव पहुंचे अंतिम संस्कार के लिए
7 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत हुआ
संजयनगर श्मशान
22 शव पहुंचे अंतिम संस्कार के लिए
06 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत हुआ
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16 अप्रैल
सिटी श्मशान भूमि
20 शव पहुंचे अंतिम संस्कार के लिए
7 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत हुआ
संजयनगर श्मशान भूमि
14 शव पहुंचे अंतिम संस्कार के लिए
7 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत हुआ चबूतरे पड़ने लगे कम. जमीन पर जलीं चिताएं
श्मशान भूमि के प्रबंध समितियों के मुताबिक शव के दाह संस्कार के तीन दिन बाद ही चिता का चबूतरा खाली होता है। अब मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है तो श्मशान भूमि में जगह कम पड़ने पर जमीन पर भी चिता जलाने के प्रबंध हुए हैं। प्रबंधन के अनुसार ये कोशिश स्वजन को समस्याओं से बचाने के लिए हुईं हैं। सिटी श्मशान भूमि पर गैस चालित शवदाह गृह में 17 अप्रैल को तीन शवों का अंतिम संस्कार किया गया। ट्रस्ट के सचिव की माने तो गैस शवदाह गृह का खर्च अधिक होने से कम उपयोग में लाया जाता है।
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सिटी श्मशान भूमि में 550 रुपये क्विटल लकड़ी
33 शवदाह गृह बने हुए हैं सिटी श्मशान भूमि मे
संजयनगर श्मशान भूमि में 700 रुपये प्रति क्विटल बिक रही लकड़ियां
27 शवदाह गृह बने हुए हैं संजयनगर श्मशान भूमि पर
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कोविड प्रोटोकाल से होने वाले अंतिम संस्कार डराते हैं.
श्मशान भूमि में शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत किया जा रहा है। इसका मतलब किसी संक्रमित की ही मौत हुई होगी। स्वास्थ्य विभाग की माने तो 16 अप्रैल को सात और 17 अप्रैल चार संक्रमितों की मौत हुई है, लेकिन श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार के आंकड़ों को देखें तो बड़ा अंतर सामने आ रहा है।
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अचानक कोरोना संक्रमण बढ़ने से मृतकों की संख्या भी बढ़ी है। संक्रमितों के शव का कोविड प्रोटोकाल के तहत ही अंतिम संस्कार कराया जाता है। लकड़ी की अभी तो कमी नहीं है, लेकिन रेट जरूर बढ़ रहे हैं।
- महेन्द्र पटेल, सचिव, संजयनगर श्मशान भूमि अभी श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार के लिए कोई समस्या नहीं है। हम लोग व्यवस्था में लगे हैं। संक्रमितों के शव का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत ही होता है। इनदिनों अंत्येष्टि के लिए अधिक शव आ रहे हैं।
- विजय कुमार, सचिव, हिदू सोशल सर्विस ट्रस्ट