Indian LAC Tension : बरेली की श्रेया ने सोशल मीडिया पर मचाई धूूूूम, मास्टर्स ऑफ वार गाकर दिया शांति का संदेश

वर्ष 1960 की शुरुआत में शीत युद्ध के दौरान परमाणु हथियार निर्माण के विरोध में अमरीकी गायक बॉब डिलन का मशहूर गीत मास्टर्स ऑफ वार एक बार फिर चर्चा में है।

By Edited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 01:59 AM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 08:57 AM (IST)
Indian LAC Tension : बरेली की श्रेया ने सोशल मीडिया पर मचाई धूूूूम, मास्टर्स ऑफ वार गाकर दिया शांति का संदेश
Indian LAC Tension : बरेली की श्रेया ने सोशल मीडिया पर मचाई धूूूूम, मास्टर्स ऑफ वार गाकर दिया शांति का संदेश

बरेली, [अशोक आर्य]। वर्ष 1960 की शुरुआत में शीत युद्ध के दौरान परमाणु हथियार निर्माण के विरोध में अमरीकी गायक बॉब डिलन का मशहूर गीत 'मास्टर्स ऑफ वार' एक बार फिर चर्चा में है। इस बार सेट मारिया स्कूल में कक्षा दसवीं की छात्रा श्रेया सक्सेना ने इसे गाया है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव को देखते हुए उन्होंने यह गीत गाकर शांति का संदेश दिया है। उनके गाए गीत को सोशल मीडिया पर काफी वाहवाही मिल रही है। अब तक कई लाइक्स व शेयर उन्हें मिल चुके हैं।

यूरोपियन वेबसाइट पर भी चलेगा श्रेया सक्सेना ने मास्टर्स ऑफ वॉर गीत को शहर के ही एक स्टूडियो में रिकॉर्ड कराया है। उनके गीत को वर्कर्स यूनिटी वेबसाइट के एफबी पेज व यू-ट्यूब पर अपलोड किया। इस वेबसाइट के देश में करीब एक लाख व्यूअर हैं। दो ही दिन में साढ़े पांच हजार से अधिक लोगों तक यह गीत पहुंच गया है। तेजी से व्यूअर बढ़े हैं और शेयर भी किया जा रहा है। इसे यूरोपियन वेबसाइट रेडफिश को भेजा गया है, जिसके करीब छह लाख फॉलोअर हैं। रविवार को वहां चलने की उम्मीद है।

गायकी में नाम रोशन करने का सपना जनकपुरी निवासी श्रेया बताती हैं कि करीब दो साल पहले उन्हें गाने का शौक लगा। उन्होंने यू-ट्यूब को देखकर गाना सीखा। पहला ही गाना अमेरिकी गायक का गाया। उन्होंने अपने गीत से एलएसी पर बने तनाव को दूर करने और शांति की अपील की गई है। श्रेया के पिता कुमार पारस शहर के मनोहर भूषण इंटर कॉलेज में शिक्षक हैं। दादा डॉ. महेंद्र सक्सेना आर्टिस्ट हैं। कुमार पारस का दावा है कि श्रेया देश में यह गीत गाने वाली पहली शख्स है।

बॉब डिलन को साहित्य में मिला नोबेल पुरस्कार अमेरिकी गायक बॉब डिलन ने 24 अप्रैल 1963 को मास्टर्स ऑफ वॉर गीत रिकार्ड किया था। तब से लेकर अब तक कई लोगों ने इस गीत को अपनी आवाज दी है। उन्होंने इस गीत को गाकर शीत युद्ध के परमाणु हथियारों के निर्माण का विरोध किया था। उन्हें अक्टूबर 2016 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

chat bot
आपका साथी