Holi Special: भैंसा गाड़ी पर निकले लाट साहब, लोगों ने जूते-चप्पल व झाड़ू से किया स्वागत
ब्रज में बरसाने की लट्ठामार होली देश-दुनिया में चर्चित है। तो उप्र के शाहजहांपुर में भी होली मनाने का अंदाज निराला है। यहां होली के दिन रंगों की बौछार के बीच लाट साहब की सवारी निकाली जाती है।
जेएनएन, शाहजहांपुर : होली के दिन रंगों की बौछार के बीच लाट साहब की सवारी निकाली गई। भैंसा गाड़ी पर बैठे लाट साहब की लोगों ने रंगों की बौछार के बीच जमकर जूते-चप्पल व झाड़ू से पिटाई की। चौक कोतवाली से शुरू होकर जुलूस जिस-जिस रास्ते से होकर गुजरा, लोग जूते-चप्पल से लाट साहब का स्वागत करते रहे।
होली के हुड़दंग के बीच निकले चारों जुलूस
शहर में बड़े व छोटे लाट साहब का अलग-अलग जुलूस निकला। इसके अलावा शहर से सटे रोजा के बरमौला अजरुनपुर में भी जुलूस निकाला। यहां लाट साहब को गधे पर बैठाकर जूतों की माला पहनाई गई। वहीं, कांट में भी लाट साहब को भैंसागाड़ी पर बैठाकर जुलूस निकाला गया।
वर्षों पुरानी हैं परंपरा
ब्रिटिश शासनकाल में अत्याचार के विरोध में इस जुलूस को निकालने की परंपरा शुरू की गई। एक व्यक्ति को लाट साहब बनाकर जूते चप्पलों से मारते हुए उसका जुलूस निकाला जाता था। हालांकि अंग्रेजों ने रोकने की कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली। छह वर्ष पहले लाट साहब के जूलूस पर पाबंदी के लिए याचिका दायर की गई। लेकिन कोर्ट ने रोक से इन्कार कर दिया।
कोतवाल ने दी लाट साहब को सलामी
लाट साहब को सबसे पहले चौक कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक ने सलामी दी। साथ ही लाट साहब को शराब की बोतल के साथ नकदी व अन्य उपहार भी भेंट किए। इसके बाद लाट साहब को भैंसा गाड़ी पर बैठाकर शहर में घुमाया गया।
गोपनीय रहती पहचान
लाट साहब बनने वाले व्यक्ति को कमेटी की ओर से भी हजारों रुपये का नकद इनाम व उपहार दिए गए। उसकी पहचान गोपनीय रखी जाती है। लाट साहब को करीब चार दिन पहले से ही गोपनीय स्थान पर रखकर खातिरदारी शुरू हो जाती है।
सुरक्षा का रखा गया विशेष ध्यान
लाट साहब को चोट न लगे, इसके लिए उसे हेलमेट पहनाया गया। इसके साथ भैंसा गाड़ी पर कमेटी के अलावा पुलिस के जवान भी मौजूद रहे। जुलूस में कोई गड़बड़ी न हो इसके लिए फोर्स के साथ डीएम, एसपी से लेकर प्रशासन व पुलिस के अधिकारी व आएएफ भी मौजूद रही।